LagatarDesk : पिछले कुछ दशकों में हमारी लाइफ स्टाइल खूब बदली है. तकनीकी सहूलियत ने जिंदगी जीने का तरीका ही बदल दिया है. शारीरिक मेहनत की अधिक दरकार नहीं रही, पर व्यस्तता बढ़ी है. खान-पान में बदलाव आया है तो नींद के घंटे में भी कटौती हुई है. सुकून कहीं खो सा रहा है और जिंदगी पर तनाव हावी हो रहा. बदलाव का यह दौर स्वास्थ्य पर, खासतौर पर हमारे दिल पर भारी पड़ रहा. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की माने तो कॉर्डियोवस्कुलर डिजीज वैश्विक तौर पर मौत का बड़ा कारण बनकर सामने आया है. आइए, जीवनशैली के उन बदलावों पर चर्चा करें जो दिल के रोगों का कारण बन रहा –
शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है मोटापा
मोटापा शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स और एलडीएल (जो खराब कोलेस्ट्रॉल होता है) के स्तर को बढ़ा देता है और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (जो अच्छा कोलेस्ट्रॉल है) उसके स्तर को कम करने का काम करता है. इससे हार्ट की बीमारी होने का खतरा और भी ज्यादा रहता है. मोटापा से हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, स्लीप एप्निया भी होता है जो हार्ट की बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है.
रिसर्च रिपोर्ट
यूरोपियन हार्ट जनरल में प्रकाशित शोध के अनुसार, बॉडी मास इंडेक्स बढ़ते ही हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. 40 से 69 साल की उम्र के 500,000 प्रतिभागियों पर किये गये इस शोध में यह भी कहा गया है कि जिन लोगों को हार्ट से जुड़ी वंशानुगत परेशानी है, उनके लिए मोटापा और ज्यादा खतरा बनकर आता है.
हेल्दी रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा फल-सब्जियां खाएं
ज्यादा से ज्यादा सब्जियां और फल खाएं. कॉर्डियोवस्कुलर हेल्थ के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के सुझाव के अनुसार प्रतिदिन 600 ग्राम फल व सब्जी का सेवन जरूरी है. अगर आप नॉन-वेजीटेरियन हैं, तो मछली और चिकन जैसे लीन मीट ही खाएं. रेड मीट का सेवन नहीं करें. नमक, चीनी, प्रोसेस्ड फूड और शराब के सेवन से बचें.
रिसर्च रिपोर्ट
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च कहती है, रोजाना डाइट में ओमेगा-3 आइकोसा-पेंटानोइक एसिड और अल्फा-लिनोलिक एसिड की ज्यादा मात्रा वाला खाना खाते हैं तो दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.
कम सोने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता
जो लोग 6 घंटे से कम नींद लेते हैं, उन लोगों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि नींद को हृदय स्वास्थ्य बहुत जरूरी है. जो लोग 8 घंटे की नींद लेते हैं उनका हृदय उन लोगों की तुलना में ज्यादा स्वस्थ्य रहता है जो कम सोते हैं.
रिसर्च रिपोर्ट
अमेरिका हार्ट एसोसिशन के पीयर-रिव्यू जर्नल ‘सर्कुलेशन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक जो लोग दिन में कम से कम सात घंटे नहीं सोते हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होता है.
फिट रहने के लिए फिजिकल एक्टिविटी जरूरी
हर दिन 30-40 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है. प्रतिदिन ब्रिस्क वाक हार्ट अटैक के खतरे से बचाता है. इसके अलावा साइकिलिंग, स्विमिंग और जॉगिंग भी समस्या से बचाव में सहायक है.
रिसर्च रिपोर्ट
यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी की पत्रिका यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, कम शारीरिक सक्रियता हार्ट अटैक से मौत की आशंका बढ़ाती है. रिसर्च के मुताबिक जो लोग मध्यम और सख्त शारीरिक गतिविधि में शामिल रहे, उनको हार्ट अटैक से फौरी मौत का खतरा सुस्त जीवनशैली वाले लोगों के मुकाबले क्रमश: 33% और 45% तक कम हुआ.
तनाव में शरीर से कॉर्टिसल नामक हार्मोन होता है स्रावित
तनाव की स्थिति में शरीर में अड्रेनिल हार्मोंस रिलीज होता है. इससे सांस की रफ्तार, हार्ट रेट, बीपी बढ़ जाता है. तनाव से राहत पाने के लिए शरीर से कॉर्टिसल नामक हार्मोन भी स्रावित होता है. जब लगातार तनाव बना रहता है तो अड्रेनिल और कॉर्टिसल का बार बार रिलीज होना हार्ट अटैक का कारण बनता है.
रिसर्च रिपोर्ट
स्वीडन की एक यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार वर्क प्लेस प्रेशर और पैसे की चिंता सेहत पर भारी पड़ती है. इससे स्ट्रोक और हार्ट अटैक के खतरे की आशंका लगभग 30 फीसदी तक बढ़ जाती है. शोध में कई देशों के एक लाख लोगों को शामिल किया गया. देखा गया कि लंबे समय तक मानसिक तनाव के कारण शरीर में कोर्टिसोल की मात्रा बढ़ जाती है.
तंबाकू का सेवन बनता है हॉर्ट अटैक का कारण
बिहार झारखंड में स्मोकलेस तंबाकू (जिसे खैनी भी कहते हैं) का सेवन बेहद आम है और यह हार्ट डिजीज का बड़ा कारण है. खैनी खाने से खून में थक्का जमने लगता है जो हॉर्ट अटैक का कारण बनता है. खैनी को धीमी आत्महत्या की संज्ञा दी गयी है. अगर खैनी खाना छोड़ देंगे तो हृदय रोग 40 फीसदी तक नहीं हो पायेगा. खैनी खाना छोड़ने के पांच साल बाद फायदा होना शुरू होगा.
रिसर्च रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन, वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन और न्यूकैसल ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के मुताबिक हार्ट डिजीज के कारण होने वाली हर 5 में से एक मौत का कारण तंबाकू का सेवन होता है.
डॉ मनीषा घई, कंसल्टेंट डायटीशियन की राय
- प्रश्न : क्या वजन घटाने के लिए डाइटिंग जरुरी है?
उत्तर : वजन कभी भी डाइटिंग से नही घटता है बल्कि शरीर विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. इसलिए जरूरी है डाइट कंट्रोल करें और बहुत सारा व्ययाम करें. - प्रश्न : क्या वेटलौस के दौरान कार्ब्स पूरी तरह छोड़ देना चाहिए?
उत्तर : वेटलॉस में कार्ब्स पूरी कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि कार्ब्स का मुख्य कार्य है ऊर्जा देना और ऊर्जा नही मिलेगी तो वर्कऑउट नहीं कर सकते. इसलिए वर्कऑउट के हिसाब से डाइट में कार्ब्स जरूरी होता है. - प्रश्न : फैट फ्री और शुगर फ्री चीजें खाने से क्या वाकई वजन घटता है?
उत्तर : फैट फ्री भोजन में थोड़ी बहुत कटौती आवश्यक है. बहुत सारे विटामिन्स के अवशोषण के लिए थोड़ा बहुत फैट आवश्यक है. पर अच्छा फैट जैसे ड्राई फ्रूट्स, घर का बना घी इत्यादि. शुगर ऐसे भी शरीर के लिए हानिकारक है इसलिए उसको अवॉयड करें.