Ranchi : अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन किसी की नहीं सुनते हैं. यहां तक कि अपने दल झामुमो के विधायकों की भी पैरवी तक को अनसुना कर देते हैं, तो सत्ता में शामिल कांग्रेस और राजद के विधायकों की क्या बिसात. दरअसल, जुलाई महीना चल रहा है. अमूमन जून-जुलाई और दिसंबर में बड़े पैमाने पर राज्य सरकार की ओर से ट्रांसफर-पोस्टिंग की जाती रही है. अलबत्ता, ऐसे वक्त अपने मनपसंद अफसरों की अपने विधानसभा क्षेत्र में पोस्टिंग की चाहत प्राय: जनप्रतिनिधियों को होती है. लिहाजा, कई विधायकों ने व्यक्तिगत तौर पर मिलकर या फिर किसी दूसरे जरिये से अपनी मन की बात सीएम हेमंत तक पहुंचायी थी. इसमें झामुमो के भी कुछ विधायक शामिल रहे थे.
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सचिवालय में भी इन दिनों खूब हो रही है चर्चा
सचिवालय के गलियारों में इन दिनों इसे लेकर खूब चटखारे लिये जा रहे हैं. सचिवालय में यह चर्चा हो रही है कि सीएम ट्रांसफर-पोस्टिंग में किसी की सुनते नहीं है. वह खास तौर पर कार्यपालक नियमावली पर जोर देते हैं. वह चाहते हैं कि अच्छे और योग्य अफसरों को महत्वपूर्ण स्थानों पर रखा जाये. सचिवालय के गलियारे में यह कहा जा रहा है कि पैरवी नहीं सुनने पर विधायकों को निराशा हाथ लग रही है. विधायक भी भले तौर पर पैरवी की बात नहीं स्वीकारते हैं, मगर इस बात का मलाल उन्हें होता है. खासतौर पर झामुमो विधायकों की बेचैनी आसानी से महसूस की जा सकती है.़