Arvind Jayatilak
अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष का आंकलन गौरान्वित करने वाला है कि भारत ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर चुका है. इस आंकलन का आधार ब्लुमबर्ग की रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि अप्रैल-जून के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची छलांग लगायी है और जीडीपी 13.5 फीसद की दर से बढ़ी है. उल्लेखनीय है कि ब्लूमबर्ग ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के डेटाबेस और एक्सचेंज रेट के रिकॉर्ड के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है. भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की ताजा रिपोर्ट में भी कहा गया है कि भारत 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रुप में उभर सकता है. उपभोक्ता खर्च में आई तेजी, घरेलू स्तर पर बढ़ी मांग और सेवा क्षेत्र में लगातार विस्तार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नए मुकाम पर पहुंचा दिया है. आज की तारीख में भारत जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है. आज भारत में सबसे ज्यादा स्मार्टफोन डेटा उपभोक्ता है. सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है. तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है. इनोवशन इंडेक्स में भारत की रैंकिंग लगातार सुधर रही है. भारत के निर्यात में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. बीते आठ वर्षों में 100 अरब डॉलर से ज्यादा की नई कंपनियों अस्तित्व में आई हैं. इनका मूल्य 12 लाख करोड़ है. यह संकेत भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था की संभावना को पुख्ता करता है.
अच्छी बात यह है कि मजबूत अर्थव्यवस्था के कारण भारत में निवेश को बढ़ावा मिला है और निवेशक भारत में इनवेस्ट करने में रुचि दिखा रहे हैं. माना जा रहा है कि आर्थिक सुधारों और कारोबारी सुगमता के कारण 2022-23 में 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आ सकता है. लेकिन कई बातें ऐसी भी हैं जो अर्थव्यवस्था की ऊंची छलांग में बाधक हैं. मसलन निर्माण क्षेत्र में ग्रोथ धीमी है.
निर्यात से ज्यादा आयात किया जा रहा है. मानसून कहीं कम कहीं ज्यादा की वजह से कृषि की ग्रोथ प्रभावित हो रही है. महंगाई बढ़ी है. जिस तरह कच्चे तेल के आयात में अत्यधिकडॉलरका भुगतान करना पड़ रहा है उससे लक्ष्य को साधने में अवरोध उत्पन हो सकता है. उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर्स आॅफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआइ) ने भारत को 5000 अरब डॉलरकी अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को साधने के लिए कुछ अहम सुझाव दिए हैं. मसलन, बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देने के लिए निवेश को आकर्षित किया जाए, पीएलआई योजना के तहत इसमें अन्य क्षेत्रों को शामिल किया जाए. कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश के लिए माहौल निर्मित किया जाए. वस्तुओं की ऊंची कीमत और कच्चे माल की कमी की समस्या को दूर किया जाए. अगले पांच वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार दोगुना करने का लक्ष्य पाने के लिए मोदी सरकार को विकास दर की रफ्तार 12 फीसद करने के साथ-साथ कई अन्य उपाय तलाशने होंगे. मसलन जीडीपी में 17 फीसद हिस्सेदारी रखने वाला कृषि क्षेत्र जो कि 50 फीसद श्रमशक्ति को रोजगार देता है, उसकी सेहत सुधारनी होगी. यह सच्चाई भी है कि भारतीय कृषि मानसून, एमएसपी, कर्ज के बोझ और बेहतर बाजार तंत्र के अभाव से ग्रसित है. इस दिशा में सरकार को सफलता तभी मिलेगी जब कृषि में निवेश बढे़गा.
अच्छी बात है कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र के ढांचागत विकास के लिए आने वाले पांच वर्षों में 25 लाख करोड़ रुपए निवेश का खाका तैयार की है. सरकार की मंशा इस निवेश के जरिए सिंचाई के साधन, मंडियों की स्थापना, पोल्ट्री, डेयरी व अन्य उत्पादों के कोल्ड स्टोरेज, ढुलाई और मंडी के ढांचे को मजबूत करना है. अगर यह योजना मूर्त रुप लेती है तो निःसंदेह किसानों की आमदनी बढ़ेगी और कृषि में नुकसान का जोखिम कम होगा. दूसरी ओर सरकार को कृषि और किसानों की हालत सुधारने के लिए बुनियादी सुविधाओं में निवेश, हर खेत को पानी के अलावा कानूनी सुधार में भूमि पट्टेदारी कानून, ठेके पर खेती, मार्केंट सुधार और आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव करने की भी जरुरत है. अगर सरकार कृषि उपज के रखरखाव, प्रोसेसिंग और लाभकारी मूल्य दिलाने की दिशा में ठोस पहल करती है तो फिर अर्थव्यवस्था कुलांचे मारने में देर नहीं लगेगी. एनुअल स्टेट ऑफ रिपोर्ट-2017 में कहा जा चुका है कि ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को शिक्षा के विशेष अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ताकि कृषि के साथ-साथ उससे जुड़ी अन्य बुनियादी ढांचे का निमार्ण तेजी और सहजता से हो सके. ध्यान देना होगा कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर जीडीपी ग्रोथ के लक्ष्यों को हासिल किए बिना 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था संभव नहीं है. इसके लिए सभी क्षेत्रों में आवंटन पर जोर देना होगा. इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण क्षेत्र है. सरकार को औद्योगिक विकास की गति तेज करने के लिए खनन क्षेत्र और बिजली उत्पादन में जबरदस्त सुधार करने की जरुरत है. सरकार को ध्यान रखना होगा कि पांच ट्रिलियन के लक्ष्य हासिल करने के लिए रोजबार बढ़ाने को काफी जोर देना होगा.
इस समय बेरोजगारी दर उच्च स्तर पर है. ऐसे में सरकार को नौकरी उपलब्ध कराने के लिए विकास दर तेज करना होगा. अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने के साथ एमएसएमई सेक्टर पर जोर देना होगा. लेकिन यह तभी संभव होगा जब विदेशी निवेश बढ़ेगा. इसके लिए सरकार को टैक्स घटाने, महंगाई कम करने और रोजगार दर बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाना होगा.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.