Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट ने ग्रामीण विकास विभाग में अनुबंध पर जूनियर इंजीनियर की नियुक्ति की मेरिट लिस्ट को जारी करने पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस राजेश शंकर की कोर्ट ने बुधवार को हुई सुनवाई के बाद अगली सुनवाई तक कनीय अभियंताओं की नियुक्ति की मेरिट लिस्ट जारी करने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर मेरिट लिस्ट जारी कर दी गई है, तो वह प्रभावी नहीं होगी.
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जेई की टेंडर पर नियुक्ति के लिए जिलावार विज्ञापन जारी किया गया था
जूनियर इंजीनियर नियुक्ति के मामले में प्रार्थी उत्तम कुमार की ओर से हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाटे हुए रिट याचिका दाखिल की गयी है. प्रार्थी के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि वर्ष 2020-21 के लिए ग्रामीण विकास विभाग में कनीय अभियंता की टेंडर पर नियुक्ति के लिए जिलावार विज्ञापन जारी किया गया था. इस विज्ञापन के मुताबिक शैक्षणिक योग्यता के तहत सिविल अभियंत्रण में डिप्लोमा होल्डर के लिए 60 प्रतिशत अंक और एससी-एसटी के लिए 50 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य था. लेकिन विभाग ने जो प्रोविजनल मेरिट लिस्ट जारी की. उसमें यह पाया गया कि सीधे बीटेक करने वाले अभ्यर्थियों का चयन भी हुआ है. जबकि डिप्लोमा करने वालों और बीटेक करने वालों की पढ़ाई काफी अलग होती है. इसलिए मेरिट लिस्ट को रद्द किया जाना चाहिए.
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में रांची जिले के लिए जारी किये गए मेरिट लिस्ट को प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही इस मामले में अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तारीख मुकर्रर की है और राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है.