Hussainabad (Palamu) : हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र में खाद की कमी से किसानों में आक्रोश है. एक ओर सरकार खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है. वही दूसरी ओर फास्फेट खाद के लिए किसानों को दोगुनी कीमत चुकानी पड़ रही है. किसानों का कहना है कि दुकानदार, जिला प्रशासन व थोक बिक्रेता के बीच सांठ-गांठ से आज किसानों की हालत खराब है. उनका कहना है कि गेंहू में जहां खाद की कम खपत है, इसके बाद भी किसानों को निर्धारित मूल्य से 200 से 300 रुपये अधिक प्रति बोरा अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है. जानकारी के अनुसार हुसैनाबाद एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में डीएपी फास्फेड 18-46 खाद (उर्वरक ) जिसका मानक मूल्य 1200 है. वह 1550 रुपये से लेकर 1600 रुपये प्रति बोरा के हिसाब से खुलेआम बेचा जा रहा है. इस संबंध में दुकानदारों ने कहा है कि किसानों को सही समय पर जिले से ही खाद का आवंटन नहीं किया जाता है. जिसके कारण थोक विक्रेता ही मानक मूल्य से अधिक में दुकानदारों को खाद देते हैं.
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चीजें महंगी हो गयी है
दुकानदारों का यह भी कहना है कि अगर खाद्य आवंटन की यही स्थिति रही तो अगले साल कोई खाद नहीं बेचेगा. इस संबंध में हुसैनाबाद प्रखंड क्षेत्र के किसान मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि किसानों की आय दोगुनी करनी है, दूसरी तरफ किसानों को मिलने वाले बीज, खाद , उर्वरक, ट्रैक्टर की जुताई तमाम चीजें इतनी महंगी हो गयी है कि हम लोग अपनी लागत मूल्य भी नहीं निकल पाते हैं. उसने बताया कि खाद की बढ़ी कीमत ने किसानों की कमर तोड़ दी है. इस बार फसल अच्छी होने की उमीद थी और वर्षा भी समय पर हुई , पर उर्वरक समय पर नहीं मिला. जिसके कारण हमलोग को ऊंची कीमत पर खाद खरीदनी पड़ी.