Ranchi: कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बने आइसोलेशन कोच रेलवे के लिए फिर से परेशानी का सबब बनेगा. उपयोग के अभाव में इन बोगियों का फिर से कायाकल्प किया जाएगा. यदि इन आइसोलेशन कोचों का उपयोग नहीं होता है तो इन कोचों को फिर से यात्री ट्रेनों के कोच के रूप में परिवर्तित करना होगा. इसे सवारी बोगी के कोच रूप में परिवर्तित करने के लिए रेलवे को फिर से करोड़ों रुपए खर्च करने होंगे. इन कोचों का पैसेंजर ट्रेनों में इस्तेमाल किया जाएगा.
कोरोना मरीजों के इलाज के लिए रेलवे ने हाजीपुर और दक्षिण पूर्व रेलवे दोनों जोन में 500 से भी अधिक आइसोलेशन कोच बनाए हैं.
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लेकिन रांची समेत अन्य रेल मंडल के अंतर्गत स्थानीय प्रशासन को अब तक आइसोलेशन कोचों की आवश्यकता नहीं पड़ी है. नतीजतन यह सभी कोच अपने-अपने रेल मंडल के अंतर्गत यार्ड में खड़े हैं.
अप्रैल से ही बनकर तैयार हैं आइसोलेशन कोच
कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को लेकर इसे अप्रैल 2020 तक बना लिया गया था. हर कोच को आइसोलेशन कोच बनाने और उसके रखरखाव में एक लाख रुपये प्रति कोच खर्च हुए हैं. हर एक कोच में 9 केबिन बनाए गए हैं. जिसमें पहले केबिन में स्वास्थ्य कर्मियों और उसके बाद अन्य आठ केबिन में कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज की व्यवस्था है. इन कोचों में मरीजों के टॉयलेट से लेकर ऑक्सीजन तक की व्यवस्था है.
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प्रशासन के दिशा निर्देश पर ही निर्णय
हालांकि रेलवे अधिकारियों के अनुसार कोरोना संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है. जाड़े का मौसम होने के कारण इसके दोबारा बढ़ने की संभावना भी व्यक्त की गई है. ऐसे में अभी इस मामले पर कुछ कहा नहीं जा सकता. अधिकारियों के मुताबिक स्थानीय प्रशासन के दिशा निर्देश के बाद ही इन आइसोलेशन कोचों के बारे में निर्णय लिया जाएगा.
क्या कहते हैं रेल अधिकारी
रेल मंडल रांची की मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी नीरज कुमार ने कहा कि यहां के 60 आइसोलेशन कोच इलाज के लिए उपलब्ध है इसका उपयोग जिला प्रशासन की ओर से किया जाएगा इसका उपयोग होगा या नहीं होगा इस बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा. कोरोना संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है. इस बारे में रेलवे बोर्ड ही निर्णय लेगी.
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