Bismay Alankar
खइके पान बनारस वाला…
खुल जाये बंद अकल का ताला…
Hazaribagh : ऊपर लिखी गाने की पंक्ति बहुत मशहूर हैं. आम हो या खास पान खाना और खिलाना सबकी पसंद होती है. शादी हो या पार्टी सभी जगह पान खिलाने की परंपरा रही है. नुक्कड़ पर छोटी सी पान की दुकान हो या सजी-धजी बड़ी दुकान. सबकी पान उसी स्वाद की होती है. ऐसी ही एक रिपोर्ट हजारीबाग से आयी है. जहां एक इंजीनियर ने शानदार पान की दुकान खोली है.
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हजारीबाग के इंजीनियर संजीव ने झिंझारिया पुल के पास एक नया स्टार्टअप किया है. संजीव ने स्टार्टअप पान की बेहतरीन दुकान खोली है. इस दुकान का नाम फैमिली पान कैफे है. जिसमें 100 से अधिक फ्लेवर के पान बिकते हैं. पान का रेट 20 रुपये से लेकर 2200 तक है.
कई बेहतरीन फ्लेवर के पान हैं मौजूद
आम के फ्लेवर से लेकर कुल्फी के फ्लेवर तक वाले पान यहां मिलते हैं. इतना ही नहीं आप ऑनलाइन ऑर्डर कर घर बैठे भी पान मंगा सकते हैं. स्टार्टअप करने वाले संजीव ने हजारीबाग शिशु विद्या मंदिर से 2003 में मैट्रिक की परीक्षा पास की. उसके बाद संजीव ने मार्खम कॉलेज प्रसिद्ध संत कोलंबस कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल की. संजीव बिनोवा विश्वविद्यालय के टॉपर छात्र रहे हैं. कॉलेज की पढ़ाई के बाद बीआईटी से संजीव ने एमबीए किया. वर्तमान में टीसीएस कोलकाता में अपनी सेवा दे रहे हैं.
वर्क फ्रॉम होम के दौरान आया पान बेचने का आइडिया
संजीव लॉकडाउन के वक्त से ही वर्क फ्रॉम होम पर हैं. इस दौरान उन्होंने यह स्टार्टअप शुरू किया है. संजीव का कहना है कुछ नया करने का सोच रहे थे और इन दिनों काफी सोशल साइट पर सर्च भी कर रहे थे, ऐसे में उन्हें हजारीबाग में कुछ नया करने का विचार आया. संजीव ने बताया कि उसके बाद ही मैंने पान की दुकान खोली. संजीव ने कहा कि, मैं चाहता हूं कुछ लोगों को रोजगार दूं और इसके जरिए मैंने आज 5 लोगों को रोजगार दी है. 2018 में मेरी शादी हुई. मेरी यही सोच है कि कुछ ऐसा करो, जिससे पूरे देशभर में मेरा बनाया हुआ प्रोडक्ट का चेन खुल सके. संजीव हजारीबाग के खीरगांव के रहने वाले हैं.
करोना काल में कई लोगों की नौकरी चली गयी. कई लोगों ने तो पैसों की तंगी की वजह से आत्महत्या तक कर ली. ऐसे में देशभर में बेरोजगारी बढ़ी है. तो ऐसे में व्यापार को एक नए तरीके से पेश किये जाने पर ना सिर्फ खुद अपने पैरों पर खड़ा हुआ जा सकता है, बल्कि कई लोगों को रोजगार भी दिया जा सकता है. जिसका जीता जागता प्रमाण हजारीबाग के संजीव हैं.
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