NewDelhi : एलोपैथिक डॉक्टरों के खिलाफ मोर्चा खोलना योगगुरु रामदेव पर भारी पड़ गया है. आयुर्वेद और एलोपैथी के बीच चल रहा झगड़ा अब प्रधानमंत्री मोदी की दहलीज तक पहुंच गया है. ऐलोपैथी की आलोचना को लेकर बुरी तरह घिरे योगगुरु बाबा रामदेव ने अपना बयान भले ही वापस ले लिया हो, लेकिन इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) की नाराजगी खत्म नहीं हुई है. खबर है कि बाबा रामदेव पर एक हजार करोड़ रुपए का मानहानि का केस करने के बाद अब पीएम मोदी से भी शिकायत की गयी है. आईए
मए ने पीएम मोदी से मांग की है कि रामदेव को झूठी जानकारियां फैलाने से रोका जाये और उनके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज होना चाहिए. इसके लिए IMA ने उस वीडियो का हवाला दिया है, कि जिसमें योगगुरु रामदेव वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद 10 हजार डॉक्टर और लाखों लोगों के मरने का दावा करते दिखे थे.
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टीकाकरण पर गलत सूचनाओं के प्रचार को रोका जाना चाहिए
आईएमए ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि पतंजलि के मालिक रामदेव की ओर से टीकाकरण पर गलत सूचनाओं के प्रचार को रोका जाना चाहिए. आईएमए ने कहा कि हम स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर या नेशनल टास्क फोर्स की ओर से जारी गाइडलाइंस और प्रोटोकॉल के तहत अस्पतालों में आने वाले लाखों लोगों का इलाज कर रहे हैं. यदि कोई यह दावा करता है कि ऐलोपैथिक दवाओं की वजह से लोग मरे हैं तो यह मंत्रालय को चुनौती है जो हमें इलाज का प्रोटोकॉल देता है.
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पहली लहर में 753 डॉक्टरों ने फ्रंटलाइन में काम करते हुए अपनी जान गंवाई
पत्र में कहा गया है पहली लहर में 753 डॉक्टरों ने फ्रंटलाइन में काम करते हुए अपनी जान गंवाई, जबकि दूसरी लहर में 513 डॉक्टरों की मौत हुई. पहली लहर में जान गंवाने वाले किसी डॉक्टर का टीकाकरण नहीं हुआ था, जबकि दूसरी लहर में भी जिन डॉक्टरों की मौत हुई, उनमें से अधिकतर का विभिन्न कारणों से टीकाकरण नहीं हुआ था. अब कहा जा रहा है कि दोनों डोज टीका लेने के बाद 10 हजार लोगों की मौत हुई, यह जानबूझकर टीकाकरण को बाधित करने का प्रयास है. इसे तुरंत रोका जाये.
आईएमए ने पीएम मोदी से कहा है कि जो लोग टीकाकरण पर डर फैला रहे हैं और अपनी कंपनी के उत्पादों के हित में सरकार की ओर से जारी इलाज के प्रोटोकॉल को चुनौती दे रहे हैं, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए. यह देशद्रोह का मामला है. ऐसे लोगों के खिलाफ बिना किसी देर के देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए.