LagatarDesk : कोरोना महामारी के कारण के कारण लोगों को काफी तंगी झेलना पड़ रहा है. लॉकडाउन के कारण छोटे से लेकर बड़े कारोबारियों को भी काफी नुकसान हुआ है. लोगों का बिजनेस बंद हो गया और कई का बंद होने के कगार पर हैं. इसी बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने बयान दिया है.
छोटे कारोबारियों और कमजोर परिवार को देनी चाहिए राहत पैकेज
गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत की स्थिति को सुधारने के लिए छोटे कारोबारियों और कमजोर परिवार को और राहत पैकेज की जरूरत है. गोपीनाथ ने कहा कि सरकार को कमजोर वर्ग, एसएमई को प्रोत्साहन देने, शिक्षा को प्रोत्साहन देने और कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाने की आवश्यकता है. चीफ इकोनॉमिस्ट ने भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की भी सराहना की.
फिस्कल पॉलिसी को चुस्त करने की आवश्यकता
IMF की चीफ इकोनॉमिस्ट गोपीनाथ ने कहा कि कोरोना पीड़ितों को मदद करने के लिए फिस्कल पॉलिसी को चुस्त और फ्लेक्सिबल पॉलिसी सपोर्ट देने की जरुरत है. बता दें कि सरकार ने गरीबों को मुफ्त राशन, स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त खर्च और राज्यों को मुफ्त टीके का प्रावधान किया है.
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सरकार को अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन देने की जरुरत
गोपीनाथ ने कहा कि सरकार को कमजोर परिवारों और छोटे और मध्यम फर्मों को समर्थन देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की व्यवस्था की जानी चाहिए. इसके अलावा राज्यों को समर्थन के लिए सरकार को अन्य प्राथमिकता वाले खर्च (शिक्षा और पूंजीगत खर्च) के लिए अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन की व्यवस्था की जानी चाहिए.
IMF ने जीडीपी ग्रोथ रेट का किया अनुमान
आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ रेट घटा दिया है. आईएमएफ का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 भारत की जीडीपी 9.5 फीसदी रहेगी. इससे पहले अप्रैल में आईएमएफ का अनुमान था कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी 12.5 फीसदी की दर से ग्रो करेगी. यानी एजेंसी ने भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 3 फीसदी घटा दिया है. वहीं वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 8.5 फीसदी रखा गया है. पहले यह अनुमान 6.9 फीसदी था. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 1.6 फीसदी बढ़ाया गया.
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कोरोना की दूसरी लहर से प्रभावित हुआ इकोनॉमी
IMF ने अपने हालिया वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा कि मार्च से मई के बीच कोरोना की दूसरी लहर के कारण जीडीपी ग्रोथ काफी कम हुआ है. दूसरी लहर के कारण सेंटीमेंट बुरी तरह प्रभावित हुई है और इसे ट्रैक पर वापस लौटने में अब समय लगेगा. भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2020-21 में 7.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी थी. उसके बाद से इकोनॉमी में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.
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