Anupriya Kumari
Ranchi: पूरे देश में कोरोना एक बार फिर से पांव पसार रहा है. राजधानी रांची में कोरोना केस पिछली बार की तुलना से अधिक तेजी से बढ़ रहा है. हर दिन कोरोना से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. देश के साथ-साथ झारखंड में कई लोग कोरोना की गाल में समा चुके हैं. इसे देखते हुए झारखंड सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं. जिनमें स्कूल्स, पार्क, जिम के साथ-साथ कई संस्थानों,प्रतिष्ठानों को बंद करने का निर्देश जारी किया है. कोरोना की मार रांची के हॉस्टल,लॉज और रूम लेकर रहने वाले छात्रों पर भी पड़ी है. हालांकि सरकार ने कॉलेज, कोचिंग संस्थान, हॉस्टल-लॉज बंद करने का निर्देश जारी नहीं किया है लेकिन कई कॉलेजों और कोचिंग-सेंटर ने ऑनलाइन क्लास लेना एक बार फिर से शुरू कर दिया है. जिसकी वजह से इसका असर हॉस्टल-लॉज पर हो रहा है. रांची के अधिकतर हॉस्टलों में 40 से 50 फीसदी ही छात्राए नजर आ रही हैं
चौधरी गर्ल्स हॉस्टल
रांची थडपखना स्थित चौधरी गर्ल्स हॉस्टल में लगभग 50-60 छात्राएं रहती थीं. अब यहां 25 के आस-पास ही लड़कियां रह रही हैं. हॉस्टल प्रबंधक ने बताया कि यहां लॉजिंग के साथ-साथ फूडिंग की भी व्यवस्था थी. लेकिन पिछली बार ही कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देख कर फूडिंग बंद करवा दिया गया था जो की अभी तक शुरु नहीं किया गया है. छात्राओं को अपनी सुविधानुसार खाना बनाने की अनुमति दे दी थी.
इस बार कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देख कर हॉस्टल प्रबंधक ने कहा कि बाहरी लडकियों को आने से मना कर दिया गया है. साथ ही कहा कि अभी किसी भी नयी लड़की को हॉस्टल में शिफ्ट नहीं होने दिया जा रहा है. पुरानी लड़कियों को ही अभी हॉस्टल में रहने की अनुमति है. इस हॉस्टल में स्कूल की पढ़ने वाली छात्राएं भी रहती थीं जो स्कूल बंद होने के बाद वापस घर चली गईं. साथ ही हॉस्टल संचालक ने कहा की प्रत्येक दिन साफ-सफाई किया जाता है. हॉस्टल को सैनिटाइज किया जाता है.
सीमा गर्ल्स हॉस्टल
करमटोली स्थित सीमा गर्ल्स हॉस्टल के संचालक का कहना है कि यहां प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले ज्यादातर छात्राए हैं. लेकिन संक्रमण बढता देख कई छात्राएं घर चली गईं तो किसी के पैरेंट्स ने बुला लिया. हालांकि संक्रमण की वजह से घर गई छात्राओं ने पिछ्ली बार की तरह इस बार हॉस्टल खाली नहीं किया. इस हॉस्टल में कम से कम 30-40 छात्राएं रहती हैं.
संभावना गर्ल्स हॉस्टल
प्लाजा चौक स्थित संभावना गर्ल्स हॉस्टल में सन्नाटा पसरा हुआ था. हॉस्टल की वार्डन ने बताया कि होली के बाद से बढ़ते संक्रमण को देख छात्राओं की संख्या कम होनी शुरू हो गई. कुछ छात्राएं बची हुई हैं जो यहां रह रही हैं, उनका कहना है कि हॉस्टल प्रबंधक के तरफ से हॉस्टल खाली करने का निर्देश नहीं दिया गया है. साथ ही वार्डन ने बताया प्रत्येक दिन साफ-सफाई होती है और साथ ही हॉस्टल में सैनिटाइजर की भी व्यवस्था की गई है.
वर्किंग गर्ल्स हॉस्टल
मिशन चौक के पास स्थित इस हॉस्टल में आर्थिक रुप से कमजोर लडकियों को रहने की अनुमति है. जो छोटी-छोटी दुकानों में काम-काज कर गुजारा करती हैं. इस हॉस्टल में लडकियों के रहने के साथ-साथ खाने की भी सुविधा है. लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देख हॉस्टल संचालक ने हॉस्टल खाली करने को कहा है. संचालक का कहना है कि संक्रमण कम होने के बाद ही हॉस्टल वापस आएं. साथ ही संचालक ने कहा की जो लडकियां सुदूर इलाके की हैं और काम के साथ पढ़ाई भी करती हैं उन्हे रहने की अनुमति दी है ताकी उनकी पढ़ाई बाधित ना हो.
क्या है विद्यार्थियों का कहना
कोरोना के बढ़ते संक्रमण से हॉस्टल और लॉज खाली होने लगे हैं. पिछली बार कि तरह इस बार फिर से होली के बाद कुछ ही विद्यार्थी शहर वापस आए थे. कोरोना को प्रकोप देख कई स्टूडेंट्स शहर वापस ही नहीं आये हैं. उनका कहना है कि उनके पैरेंट्स वापस फिर से उन्हे घर बुला रहे हैं. प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्राओं का कहना है कि सरकार की गाइडलाइंस जारी होने और बढ़ते संक्रमण को देख हमलोग बहुत डरे हुए हैं. डर इस बात की है कि कई परीक्षाएं नजदीक हैं, कोचिंग भी बंद हैं और हॉस्टल में ग्रुप स्टडी कर पढ़ाई कर लेते थे, घर जाकर कैसे पढ़ाई होगी? हॉस्टल में कहा जा रहा है कि कोचिंग बंद है तो घर चली जाओ.सभी छात्राओं का यही कहना था कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यहां रहते हैं, कोचिंग बंद होने के बाद ग्रुप स्टडी और ऑनलाइन क्लासेस से पढ़ाई चल रही थी, लेकिन अब घर पर अकेले तैयारी करना मुश्किल होगा.
हॉस्टल प्रबंधकों ने क्या कहा
हॉस्टल प्रबंधकों का कहना है कि स्कूल, कॉलेज में ऑनलाइन क्लासेस शुरु होने के बाद छात्राएं खुद ही घर चली जाती हैं और जो लड़कियां परीक्षा की तैयारी कर रही हैं वो घर नहीं जाना चाहतीं एसे में हॉस्टल भी खाली कराना मुस्किल हो जाता है, साथ ही कहा की सरकार के तरफ से गाइडलाइन जारी होगी तो खाली करवा दिया जाएगा. लेकिन अभी रह रही छात्राओं के साथ सख्ती भी नहीं कर सकते क्योंकि कई कॉलेज ऑफलाइन ही परीक्षाओं का आयोजन करवा रही हैं. जो लास्ट सेमेस्टर की छात्राएं हैं वो रह रही हैं साथ ही दूर-दराज के इलाकों की लड़कियां भी हैं क्योंकि इंटरनेट की सुविधा ना होने से उनकी पढ़ाई ना रुके. हॉस्टल प्रबंधकों ने कहा कि पिछली बार कोरोना में हॉस्टल बंद होने की वजह से बहुत नुकसान हो गया और घर चलाने में मुश्किल हो रही थी. अभी कोरोना की मार से उबरे नहीं थे की फिर से बढ़ते संक्रमण से पैसों की दिक्कतें आनी शुरु हो गई. हॉस्टल में अधिकतर बेड खाली पड़े हुए हैं.