Islamabad : पाकिस्तान की आर्थिक हालत बिगड़ती जा रही है. यहां भी श्रीलंका जैसे हालात बनते जा जा रहे हैं. केवल दो महीने का ही फॉरेन रिजर्व बचा है. अप्रैल 2022 में पाकिस्तान के पास केवल 10.2 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व था, जो कि दो महीने के आयात के लिए भी नाकाफी है. इसके अलावा उसे आईएमएफ से बेलआउट पैकेज लेने के लिए भी कई चुनौतीपूर्ण फैसले करने होंगे. यहां न तो राजनीतिक हालात स्थिर हो रहे हैं और न ही आर्थिक संकट कम होने का नाम ले रहा है. पाकिस्तान में लगातार गिरती रुपये की कीमत और विदेशी मुद्रा का संकट श्रीलंका जैसे हालात पैदा करने के लिए काफी हैं. पाकिस्तान जल्द ही डिफॉल्टर देश बन सकता है.
…तो पाकिस्तान ग्लोबल डिफॉल्टर घोषित हो जाएगा
पाकिस्तान में इन्वेस्ट करने से निवेशक भी डरे हुए हैं. पाकिस्तान अगर श्रीलंका जैसे हालात से बचना चाहता है तो उसके पास केवल बेलआउट पैकेज ही सहारा है. अगर उसे बेलआउट पैकेज नहीं मिलता है, तो इतिहास में दूसरी बार ऐसा होगा कि पाकिस्तान ग्लोबल डिफॉल्टर घोषित हो जाएगा. इस मामले में पाकिस्तानी अधिकारियों ने दोहा में आईएमएफ से बात की. हालांकि यह बेलआउट पैकेज लेने के लिए पाकिस्तान को कई कड़े फैसले करने पड़ सकते हैं जिससे राजनीतिक हालात और बिगड़ सकते हैं.
क्या बंद हो जाएगा आयात?
अगर पाकिस्तान को आईएमएफ से मदद नहीं मिलती है, तो यहां भी आयात पर बड़ा संकट आ सकता है. जिस तरह से श्रीलंका इस समय पेट्रोल तक आयात नहीं कर पा रहा है, वही स्थिति पाकिस्तान की भी हो सकती है. अप्रैल 2022 में पाकिस्तान के पास केवल 10.2 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व था जो कि दो महीने के आयात के लिए भी नाकाफी है. आंकड़ों के मुताबिक 2016 में पाक के पास सबसे ज्यादा 19.9 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व था. वहीं 1972 में सबसे कम 96 मिलियन डॉलर की ही विदेशी मुद्रा बची थी.
कुर्सी और अर्थव्यवस्था के बीच फंसे शहबाज
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इन दिनों कुर्सी और आर्थिक संकट के बीच फंसे दिख रहे हैं. आईएमएफ ने पाकिस्तान के सामने शर्त रखी थी कि जब तक फ्यूल पर सब्सिडी बंद नहीं की जाएगी वह कर्ज नहीं दे सकता. अब शहबाज शरीफ के सामने चुनौती है कि जनता के गुस्से के बीच वह ऐसा कदम कैसे उठाएंगे. पाकिस्तान हर महीने फ्यूल पर 60 करोड़ डॉलर की सब्सिडी देता है. पाकिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि वह सब्सिडी को बचाते हुए कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं.
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