कश्मीरी पण्डितों के लिए शहिद होने वाले गुरू तेग बहादुर का जन्म पंजाब के अमृतसर नगर में 1 अप्रैल 1621 को हुआ था. पिता का नाम गुरु हरगोविंद साहेब और माता का नाम नानकी था. उनके बचपन का नाम त्यागमल था. गुरु तेग बहादुर का बचपन ध्यान में लिन रहकर बिताते थे. वह गुरु हरगोबिन्द साहेब के सबसे छोटे बेटे थे. 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने वीरता का परिचय दिया. उनकी वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम त्यागमल से तेग बहादुर रख दिया. इन्हें “हिन्द-दी-चादर” के नाम से भी जाना जाता है. गुरु के रुप में उनका कार्यकाल 1665 से 1675 तक चला. गुरु तेग़बहादुर 24 नवंबर 1675 को शहीद हुए थे.
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हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का किया था विरोध
गुरु तेग बहादुर ने कश्मीरी पण्डितों तथा अन्य हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का विरोध किया था. औरंगजेब के शासन काल की बात है. औरंगजेब के दरबार में एक विद्वान पंडित आया करता था और रोज़ गीता के श्लोक को पढ़ता और उसका अर्थ सुनाता था, लेकिन वह पंडित गीता में से कुछ श्लोक छोड़ दिया करता था.एक दिन पंडित बीमार हो गया और औरंगजेब को गीता सुनाने के लिए उसने अपने बेटे को भेज दिया परन्तु उसे बताना भूल गया कि उसे किन-किन श्लोकों का अर्थ राजा को नहीं बताना. पंडित के बेटे ने जाकर औरंगजेब को पूरी गीता का अर्थ सुना दिया. गीता का पूरा अर्थ सुनकर औरंगजेब को यह ज्ञात हो गया कि प्रत्येक धर्म अपने आप में महान है. लेकिन औरंगजेब की हठधर्मिता थी कि उसे धर्म के अतिरिक्त किसी दूसरे धर्म की प्रशंसा सहन नहीं थी.
कश्मीरी पंडित, गुरु तेग बहादुर के पास आये और उन्हें बताया कि किस प्रकार औरंगजेब द्वारा इस्लाम को स्वीकार करने के लिए अत्याचार किया जा रहा है कश्मीरी पंडितों ने उनसे अपने धर्म को बचाने की गुहार लगायी. तत्पश्चात गुरु तेग बहादुर जी ने पंडितों से कहा कि आप जाकर औरंगजेब से कह दें कि यदि गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया तो उनके बाद हम भी इस्लाम धर्म ग्रहण कर लेंगे और यदि आप गुरु तेग बहादुर जी से इस्लाम धर्म धारण नहीं करवा पाये तो हम भी इस्लाम धर्म धारण नहीं करेंगे. औरंगजेब ने यह स्वीकार कर लिया.
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औरंगजेब ने दिये थे कई लालच
औरंगजेब ने उन्हें बहुत से लालच दिये, लेकिन गुरु तेग बहादुर जी नहीं माने तो उनपर बहुत से जुल्म किये गये. उन्हें डराने के लिये उनके सामने तीन सिखों भाई को मौत का घाट उतार दिया गया. एक भाई को शरीर के बीचों बीच चिर दिया गया और दुसरे को गरम पानी में डाल दिया गया और तीसरे सिख भाई को शरिर में रुई लपेटकर जिंदा जला दिया गया. फिर भी उनको अपना धर्म परिवर्त्तन नहीं करवा सकें. उन्होंने औरंगजेब से कहा कि यदि तुम ज़बरदस्ती लोगों से इस्लाम धर्म ग्रहण करवाओगे तो तुम सच्चे मुसलमान नहीं हो क्योंकि इस्लाम धर्म यह शिक्षा नहीं देता कि किसी पर जुल्म करके मुस्लिम बनाया जाये.
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औरंगजेब ने सिर कलम करने का दिया था आदेश
औरंगजेब यह सुनकर आगबबूला हो गया. उसने दिल्ली के चांदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर जी का सिर कलम करने की हुक्म ज़ारी कर दिया और गुरु तेगबहादुर जी ने हंसते-हंसते अपना बलिदान दे दिया. गुरु तेग बहादुर जी की याद में उनके ‘शहीदी स्थल’ पर गुरुद्वारा बना है, जिसका नाम गुरुद्वारा ‘शीश गंज साहिब’ है. और उन्हीं के याद में गुरु तेग बहादुर का शहादत दिवस मनाया जाता है.
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