Pravin kumar
Ranchi : कुर्सी पर बैठे किसी भी नेता से सीधा संवाद या अपनी तकलीफ से रूबरू कराना भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी चुनौती रही है. ऐसे दौर में जब कोई मुख्यमंत्री दिलचस्पी लेकर आमलोगों के सवालों, तकलीफों, समस्याओं को नोटिस लेता है, तो लोकतंत्र में जबावदेही की एक खूबसूरत तस्वीर बनती है. सीएम हेमंत सोरेन ने राज्य के सत्ता की कमान संभालते ही आम जानों से जुड़कर उनकी समस्या दूर करने के लिए सोशल मीडिया को एक माध्यम बनाया.इस माध्यम का उपयोग कर हेमंत सरकार राज्य के सुदूर इलाकों की समस्याओं का हल करने की सरहनीय कोशिश कर रहे हैं. इस प्रयास से जनता का विश्वास भी हेमंत सरकार के प्रति बढ़ा है.
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माध्यम से प्रशासन को बना रहे हैं सक्रिय और जवाबदेह
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद से कमोवेश जो कदम उठाये हैं. उससे राज्य के हजारों लोगों की समस्याओं का निदान हुआ है. सोशल मीडिया का बेहतर इस्तेमाल कर हेमंत सोरेने ने झारखंड में शासन-प्रशासन का एक माइलस्टोन बनाने का प्रयास किया है. राज्य के वरीय अधिकारी से लेकर जिले के उपायुक्तों को भी आम जनों की समस्या से निजाद दिलाने के लिए पहल कर सूचित करने का स्पष्ट निर्देश देते रहे हैं. ऐसा ही एक मामला सारंडा का था, जहां प्रखंड विकास पदाधिकरी भी नहीं गये थे. वैसे स्थान की समस्या हल करने के लिए जिला उपायुक्त से लेकर पुलिस कप्तान तक को सीएम ने भेजा और गांव की समस्या दूर हुई. हेमंत के सोशल मीडिया में सक्रियता ने प्रशासन को भी जनता के प्रति प्रतिबद्ध बनाने का काम किया है.
सोशल मीडिया में समस्या निराकरण करने वाले सबसे सक्रिय CM हेमंत
देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का सोशल मीडिया देखें, तो वह फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम को लोकतंत्र का हिस्सा बनाने की पहल करते रहे हैं. ज्यादातर राजनेताओं ने उसका इस्तेमाल अपने प्रचार के लिए किया है. जनता की समस्याओं को सुनने की मिसाल कम ही देखने का मिली है. पिछले 6 माह का पोस्ट भी इस तथ्य को और अधिक प्रमाणित करता है कि सीएम हेमंत ने आमजनों की समस्याओं का समाधान दिलाने और प्रशासन को सक्रिय करने के लिए सोशल मीडिया का बेहतर उपयोग किया है. इसके माध्यम से जबावदेही के लिए अफसरों पर भी लगाम कसने का भी काम किया. राज्य के दूरदराज के वैसे सैकड़ों लोग जब कभी राज्य के प्रभावशाली सत्ता तक पहुंच बनाने की हर मुमकिन कोशिश में नाकामयाब हो चुके थे. वैसे लोग भी इस अवसर से लाभान्वित हो रहे हैं.
आमजनों की जनचेतना विस्तार एवं प्रशिक्षण का बना माध्यम
हेमंत सरकार विभागों की समीक्षा कर जरूरी दिशा-निर्देश देने का काम भी सोशल मीडिया के माध्यम से करते रहे हैं. एक ओर आमजनों की समस्या को दूर करने की पहल के साथ प्रशासन को सक्रिय करने की प्रक्रिया है, तो दूसरी ओर खनिज संपदा से भरापूरे राज्य के लोगों में जन चेतना लाने के प्रयास के साथ ही युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशिक्षित करने का काम भी चल रहा है. इस दायरे में सूबे के हर व्यक्ति शामुल हैं. हेमंत के फेसबुक पेज में पांच लाख दो हजार तीन सौ 63 फॉलोअर हैं, तो ट्विटर में पांच लाख 13 हजार फॉलोअर हैं.
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सीएम की पहल वंचित तबकों की बनी आवाज
समाज के वंचित तबकों के नजरिये से अगर सीएम की इस पहल को देखें, तो यह कदम सार्थक साबित हुआ है. आदिवासी,दलित और कमजोर वर्ग के अन्य लोगों की बातें सत्ता के लिए अनसुनी ही रह जाती हैं. इन हालातों का लाभ वैसे लोग उठाते रहे हैं, जिन्होंने झारखंड के इन समूहों की जमीन और जंगलों पर कब्जा करने का सपना पाल रखा है. ऐसा भी देखा गया है कि थानों या प्रखंडों में ऐसे लोगों की बातें नहीं सुनी जाती है. पिछले साल दिसंबर में सत्ता परिवर्तन के लिए वंचित तबकों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. इन समूहों को अपनी पहचान,अधिकार और रोजमर्रे के जीवन के अनेकों सवालों को लेकर आशंका रही है. हेमंत सरकार से इन तबकों को बड़ी उम्मीदें रही हैं. झारखंड आंदोलन जिन कारणों से अंजाम तक पहुंचा था. उसमें एक बड़ा सवाल यह भी था कि झारखंड के मूल लोगों की तकलीफों को नजरअंदाज किया जाता रहा था. झारखंड बनने के पहले यहां जंगल और जमीन की लूट होती थी. इसके साथ ही भाषा व संस्कृति भी खतरे में रहती आयी थी. ऐसा तो नहीं कहा जा सकता है कि ये सारे सवाल अब नहीं रहे. लेकिन लोग महसूस कर रहे हैं कि उनकी तकलीफ सुनी जाती है और उसपर त्वरित कार्रवाई होते भी देखा गया है. जिसके कई उदहारण एक साल में देखने को मिले हैं.
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