Ranchi:रांची आर्चडायसिस का रविवार को संत मारिया गिरजाघर में 18वां सामान्य मिस्सा संपन्न हुआ. मिस्सा के मुख्य अनुष्ठाता आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो थे. जीवन की रोटी विषय पर मिस्सा और सुसमाचार का आयोजन किया गया. इसके बारे में आर्चबिशप ने कहा कि हमारे प्रभु यीसु ने कहा है कि जीवन की रोटी मैं हूं. ईसा मसीह कहते हैं कि जो मुझ पर विश्वास करता है, उसे कभी भूख-प्यास नहीं लगेगी. ईश्वर के इस सत्य को समझने के लिए हमें इस पर गहराई से मनन-ध्यान करने की आवश्यकता है. यीसु जब भूख और प्यास की बात कर रहे हैं तो शारीरिक भूख-प्यास की नहीं बल्कि आध्यात्मिक अभिलाषा की बात कर रहे हैं, क्योंकि वे ईश्वर के बेटे हैं. वे ही प्रेम, शान्ति और न्याय हैं.
रिश्ते, संतुष्टि, सुख-शान्ति जीवन की रोटी यीसु से ही आती है- आर्चबिशप
आज के सुसमाचार में जब लोग ईसा मसीह से कहते हैं कि आप हमें सदा वही रोटी दिया करें.वे कहते हैं कि मैं खाने के लिए अपने मांस और पीने के लिए अपना रक्त देता हूं. जिससे हम सब एक दूसरे में जीवन यापन करें. क्योंकि संसार की सभी चीजें जैसे हमारे रिश्ते, संतुष्टि और सुख-शान्ति, जीवन की रोटी यीसु से ही आती हैं.
इसे भी पढ़ें- बेटी की अंतरजातीय शादी की सजा मिली पिता को, पंचायत ने रस्सी से बांधकर की पिटाई
धर्मग्रंथ, सात संस्कारों और यूखरिस्तीय बलिदान के जरिए हम ईश्वर के जीवन की रोटी को प्राप्त करते हैं-
आर्चबिशप ने आगे अपने संदेश में कहा कि जीवन की यह रोटी हमें कलीसिया में मिलती है. इसे पाने के लिए हमें माता मरियम के पास जाना है. क्योंकि उसने न केवल ईसा को गर्भ में वहन किया. बल्कि उनके मुक्ति-मिशन में भी उनका साथ दिया.
हमें यह जीवन की रोटी धर्मग्रंथ के वचनों में मिलती है. क्योंकि ईश्वर ने अपनी प्रजा से बात करते हुए इसमें अपना प्रेम प्रकट किया है और वे अपनी इच्छा व्यक्त करते हैं. यह रोटी हमें कलीसिया के सातों संस्कारों के रुप में मिलती है. क्योंकि ईश्वर ने इनमें अपना वरदान उढेला है. यह रोटी और पेय हम यूखरिस्तीय बलिदान में प्राप्त करते है. जहां प्रभु यीसु स्वयं अपने शरीर और रक्त को हमें ग्रहण करने के लिए देते हैं. इस स्वर्गीय रोटी को प्राप्त करने के लिए हम यीसु के वचन को अपने मन-दिल में रखें.
इसे भी पढ़ें- टाटा – कांड्रा मार्ग पर कोयला लदा हाईवा पलटा, चालक और खलासी फरार