NewDelhi : तीन कृषि कानून रद्द करने के बिल को मोदी कैबिनेट ने आज मंजूरी दे दी. इस बिल की वापसी पर मुहर लग गयी है. यह जानकारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी. अनुराग ठाकुर ने कहा, प्राथमिकता के आधार पर इस बिल को रद्द करने की मंजूरी दी गयी है. कहा कि शीतकालीन सत्र में इस पर विस्तार से चर्चा होगी. बता दें कि पीएम आवास पर आज कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बिल पर मुहर लग गयी.
इस बिल को अब 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जायेगा. लोक कल्याण मार्ग में होने वाली कैबिनेट की बैठक मप्रधानमंत्री मोदी मौजूदगी में हुई. कृषि मंत्रालय ने पीएमओ की सिफारिश पर कानून रद्द करने का बिल तैयार किया था. राकेश टिकैत ने बिल वापसी के निर्णय का स्वागत किया है. लेकिन उन्होंने कहा कि जब तक एमएसपी पर सरकार बात नहीं करेगी आंदोलन जारी रहेगा.
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तीन कृषि कानून कौन से थे
- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
- कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
जान लें कि कानून बनाने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी होती है, उसे रद्द करने के लिए भी संसद की मंजूरी जरूरी है. अब जब कैबिनेट से मंजूरी मिल गयी है तो इस बिल को संसद में पेश किया जायेगा. इस बिल पर बहस होगी और वोटिंग होगी. इसके बाद बिल पास होते ही तीनों कृषि कानून रद्द हो जायेंगे.
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क्यों वापस लिये सरकार ने कानून?
पिछले साल जून (2020) में मोदी सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को लेकर अध्यादेश लायी थी. उस समय भी संसद में इनका भारी विरोध हुआ. उसके बाद सितंबर में तीनों कानून हंगामे के बीच पास किये गये. 27 सितंबर 2020 को राष्ट्रपति ने भी इन्हें मंजूरी दे दी. लेकिन कानून बनते ही किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. 26 नवंबर को पंजाब, यूपी, हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली बॉर्डर पर बैठ गये और आंदोलन शुरू कर दिया.
सरकार और किसान संगठनों के बीच कई बातचीत भी हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. सरकार किसानों के हिसाब से संशोधन को तैयार थी लेकिन किसान कानून वापसी पर अड़े रहे. सालभर से चल रहे आंदोलन के आगे सरकार झुक गयी. इसके बाद 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कानूनों को रद्द करने की घोषणा की.