LagatarDesk : मूडीज ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की जीडीपी 9.3 फीसदी का अनुमान लगाया है. वहीं वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ग्रोथ रेट 7.9 फीसदी रहने का अनुमान है. मूडीज ने कहा है कि कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच कई राज्यों में आंशिक लॉकडाउन लगाये गये. हालांकि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर अधिक असर नहीं पड़ेगा. जितना पिछले साल भारतीय इकोनॉमी में इसका असर देखा गया था. मूडीज ने कहा कि कोरोना केस में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. जिसके कारण भारत के हालात संभलने की उम्मीद बढ़ी है.
पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में आयेगी गिरावट
रेटिंग एंजेसी का अनुमान है कि आर्थिक गतिविधियों में वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून में गिरावट आयेगी. हालांकि इसके बाद स्थिति में थोड़ी सुधार की उम्मीद है.
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एसबीआई ने जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने भी जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया है. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.9 फीसदी कर दिया है. पहले एसबीआई ने 10.4 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था. के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर जीडीपी ग्रोथ रेट में कटौती का प्रमुख कारण है.
वित्त वर्ष 2020-21 में माइनस 7.3 फीसदी रही जीडीपी ग्रोथ
सोमवार को राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने भारत की इकोनॉमी को लेकर आंकड़े जारी किये हैं. आंकड़ों के मुताबिक, भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2020-21 में 7.3 फीसदी घटी है. वहीं वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोछ रेट में 4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी थी. वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में जीडीपी 1.6 फीसदी की दर से बढ़ी है.
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8 सेक्टर के आधार पर होती है जीडीपी की गणना
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय जीडीपी के आंकड़े हर तिमाही में जारी करती है. यानी एनएसओ साल में चार बार जीडीपी आंकड़े जारी करती है. जीडीपी की गणना के लिए देश के आठ प्रमुख क्षेत्रों को लिया जाता है. इनमें कृषि, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग, विद्युत, गैस सप्लाई, माइनिंग, वानिकी एवं मत्स्य, क्वैरीइंग, होटल, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड और कम्युनिकेशन, फाइनेंसिंग और इंश्योरेंस, बिजनेस सर्विसेज और कम्युनिटी के अलावा सोशल व सार्वजनिक सेवाएं शामिल है.