Shruti Prakash Singh
Ranchi : देश में अनाज का रिकार्ड उत्पादन हो रहा है. सब्जी की पैदावार भी बढ़ी है. अन्य मामलों में भी तरक्की दिख रही है. इन सब के बावजूद महंगाई तेजी से बढ़ती जा रही है. तेल, घरेलू रसोई गैस, डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ते जाने से घरेलू बजट गड़बड़ाता जा रहा है. इसका सीधा असर आम जन पर पड़ता है. खासकर मध्यवर्गीय और निचले दर्जे के परिवार सबसे अधिक महंगाई की मार झेल रहे हैं. छोटे-मोटे व्यवसाय व काम करने वालों के लिये बढ़ती महंगाई में अपने परिवार का गुजारा करना मुश्किल होता जा रहा है. रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर पाना भी मुश्किल है. बढ़ती महंगाई के चलते मेहनत-मजदूरी कर परिवार चलानेवाली महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है. इस सिलसिले में हमने कुछ ऐसी ही महिलाओं से बात की. आइए जानते हैं उनका क्या कहना है.-
परिवार चलाने में महीने में 10 हजार भी अब कम पड़ते – नीलिमा
अरगोड़ा चौक के पास ऑटो स्टैंड पर हमने महिला ऑटो ड्राइवर से बात की. रांची के डिबडीह की रहने वाली नीलिमा बारा पिंक ऑटो की चालक हैं. बताया कि 5 साल पहले पूरे महीने का राशन 5000 से 6000 रुपये में हो जाता था. महंगाई बढ़ने के कारण अब 10000 रुपये भी कम पड़ते हैं. बताया कि वह बीते आठ साल से ऑटो चला कर अपना घर-परिवार चला रही है. पति का राशन की छोटी सी दुकान है. तीन बच्चे है- अंकित, निशांत और गगन. तीनों बच्चों की पढ़ाई पर महीने की आधी कमाई चली जाती है. दिन भर ऑटो चलाकर अगर 500 रुपये कमाती है, तो 100 रुपये सब्जी खरीदने में निकल जाते हैं. CNG भराने में 200 रुपये चल जाते हैं. बाकी के 200 रुपये में राशन का सामान खरीदती है. कमाई से बचत तो दूर, हर महीने घर का किराया, बच्चों की पढ़ाई पर खर्च जुटाना मुश्किल हो जाता है.
नींबू से लेकर सीएनजी तक महंगा, कम पड़ती है कमाई – सिलवंती भगत
ऑटो चालक सिलवंती भगत चेतना टोली अरगोड़ा की रहने वाली हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें किसी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता. रसोई गैस सिलिंडर जो 5 साल पहले 600 रुपये में मिलता था, अब 1000 रुपये से अधिक में खरीदना पड़ रहा है. CNG गैस, जिससे हमारा ऑटो चलता है, वो एक साल पहले 60 रुपये में मिलता था. अब बढ़ कर 86 रुपये का हो गया है. इस बार तो गर्मी के मौसम में निंबू रस भी नसीब नहीं हुआ. 25 रुपये जोड़ा नींबू खरीदना उनके बूते की बात नहीं है. सरसों तेल का दाम भी बेतहाशा बढ़ गया है. कम कमाने वाले लोग परिवार चलाने के लिये कहां से पैसा लाएं. सिलवंती भगत ने बताया इसके बावजूद वह अपनी बेटी को शिक्षा दे रही है. उसे कराटे क्लास भी भेज रही है. पर महंगाई की जो स्थिति है, उससे लोगों का जीना मुहाल हो रहा है.
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