Pravin Kumar
Ranchi : केंद्र सरकार के सूचना अधिकार कानून में बदलाव के प्रस्ताव का देशभर में कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है. पार्टी ने कहा है कि आरटीआई संशोधन के मसौदे को अगर मंजूरी मिल गयी, तो आम नागरिक को सरकारी महकमों से सूचना हासिल करना काफी मुश्किल होगा. सरकार का यह कदम आरटीआई का गला घोंटने जैसा होगा. संसद के बाहर और भीतर इसके विरोध का एलान करते हुए कांग्रेस ने सभी प्रगतिशील ताकतों से सरकारी प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट होने को कहा है. यह स्थिति 2017 की थी,जब देशभर में कांग्रेस ने मोदी सरकार के सूचना अधिकार कानून में बदलाव का विरोध किया था. वही कांग्रेस आज राज्य में चुप है, खामोस है. सूचना आयुक्तों के पद रिक्त होने के कारण आयोग में 12 हजार से अधिक मामले लंबित हैं.
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फिर भी आयुक्तों के खाली पद नहीं भरे गये
राज्य में 18 माह से कांग्रेस की साझेदारी में झारखंड सरकार काम कर रही है.राज्य में सूचना के अधिकार के तहत कार्यवाही राज्य में पूरी तरह से ठप है.12000 हजार से अधिक मामले आयोग में लंबित हैं. आयोग में कार्यरत कर्मचारियों को वेतन का भुगतान भी नहीं हो रहा है. यह स्थिति तब है जब राज्य में कांग्रेस सरकार में साझेदार है. कांग्रेस की साझेदारी में चल रही झारखंड सरकार ने आयोग की स्थिति में सुधार के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. गत वर्ष मई के पहले सप्ताह में एकमात्र सूचना आयुक्त सह प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त हिमांशु चौधरी का कार्यकाल पूरा होने के बाद आयोग में सूचना आयुक्त के सभी पद रिक्त हैं. राज्य सूचना आयोग का सारा कामकाज ठप हो गया है. सूचना आयुक्त की बहाली कब हो पाएगी, यह कह पाना भी मुश्किल है.
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क्या कहते हैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर
कांग्रेस सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया था. कांग्रेस सरकार ने जानकारी लेने का बड़ा हथियार देश की जनता को दिया, जो अब जनता की ताकत बन चुकी है. आज इस अधिनियम से हम किसी भी सरकारी विभाग से कोई भी जानकारी हासिल कर सकते हैं. कांग्रेस पार्टी ही एक ऐसी पार्टी है,जो देश का विकास कर सकती है. कांग्रेस ने हमेशा दबे कुचले लोगों के लिए संघर्ष किया है. राज्य में सूचना आयुक्तों का पद रिक्त होना काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को दर्शता है. कांग्रेस इस मामले में जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने की बात करेगी. कोरोना की वजह से आयुक्तों की नियुक्ति में कुछ जरूर विलंब हुआ है, लेकिन जल्द ही आयुक्तों के पद भरे जाएंगे.
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आयोग में एक भी सूचना आयुक्त नहीं
राज्य सूचना आयोग के पास न तो मुख्य सूचना आयुक्त हैं और न ही सूचना आयुक्त. सभी 6 आयुक्तों के पद खाली हैं. प्राप्त सूचना के अनुसार राज्य सूचना आयोग में 12 हजार से अधिक मामले लंबित हैं. आयोग ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के उल्लंघन से संबंधित शिकायत निरंतर आयोग को प्राप्त हो रही है. जिसकी सुनवाई आयुक्तों के पद खाली रहने के कारण नहीं हो पा रही है. सूचना आयोग की स्थिति इतनी खराब हो गयी है कि यहां काम करने वाले कर्मचारियों भी वेतन भुगतान के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
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कर्मचारियों को नहीं मिल रहा वेतन
कर्मचारियों को पिछले दो महीनों से उनका वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है. आयोग में पदस्थापित सचिव अभिषेक श्रीवास्तव जून में सेवानिवृत्त हो गये. इसके बाद वित्तीय शक्ति का प्रयोग करने वाले किसी अधिकारी का पदस्थापन सूचना आयोग में नहीं किया गया है. जिसके कारण कर्मचारियों का वेतन भुगतान लंबित है. मौजूदा कर्मचारियों को वेतन मद में 10 लाख रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाता है. आयोग में प्रतिनियुक्त एक अवर सचिव सुदेश कुमार वर्मा ने इस स्थिति की पुष्टि करते हुए कहा कि जल्द ही वेतन भुगतान हो इसके प्रयास किये जा रहे हैं.
सूचना आयुक्तों की बहाली के लिए मांगे गए हैं आवेदन
पिछले साल जनवरी में राज्य में सूचना आयुक्तों की बहाली के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे. 300 से ज्यादा लोगों ने इस पद के लिए अपना आवेदन भी दिया है. योग्य उम्मीदवारों के लिए आवश्यक स्क्रूटनी का काम भी पूरा कर लिया गया है. इसके बाद भी सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की गयी.