Lagatar
: E-Paper
No Result
View All Result
  • होम
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • गुमला
      • सिमडेगा
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • चाईबासा
      • सरायकेला
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • हजारीबाग
      • रामगढ़
      • चतरा
      • गिरिडीह
      • कोडरमा
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • गोड्डा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • आखर
  • ओपिनियन
  • खेल
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • English
  • होम
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • गुमला
      • सिमडेगा
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • चाईबासा
      • सरायकेला
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • हजारीबाग
      • रामगढ़
      • चतरा
      • गिरिडीह
      • कोडरमा
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • गोड्डा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • आखर
  • ओपिनियन
  • खेल
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • English
No Result
View All Result
Lagatar News
No Result
View All Result
  • होम
  • न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • आखर
  • ओपिनियन
  • खेल
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • English

पीढ़ियों के अंतराल से उत्पन्न जटिलता

by Lagatar News
07/09/2023
in ओपिनियन
पीढ़ियों के अंतराल से उत्पन्न जटिलता

Dr. Mayank Murari
समय के साथ समाज में लोगों का ज्ञान बढ़ जाता है, लेकिन उसके अनुरूप आदमी बदलने में समय लेता है. आदमी की आदतें उनका साथ नहीं छोड़ती हैं. इसके कारण एक आकुल-व्याकुल की स्थिति उत्पन्न होती है, जिसका कोई समाधान नहीं होता है. भारतीय समाज के समक्ष आज ऐसी ही स्थिति आ गयी है, जहां पीढ़ियों के अंतराल के कारण जटिलताएं बढ़ती जा रही हैं. पुरानी पीढ़ी और नयी पीढ़ी के सोच में एक बड़ा गैप है, जिसके बीच सेतु का अभाव है. ऐसे में संबंध टूट रहे हैं, भावनाएं खंडित हो रही हैं और परिवार खंडित हो रहे हैं. सोशल मीडिया, आधुनिकता का मोहपाश, सही-गलत की अपनी परिभाषा में सामाजिक व्यवस्था खत्म हो रही है, जो भारत को एक सूत्र में बांधती थी.

वर्तमान दौर में एक घर की स्थिति अजीब बनी है. जहां पिता का पुत्र से कोई नियमित संवाद नहीं हैं, बच्चों की आपस में दूरियां बढ़ गयी हैं. बातचीत होती है तो वह एक तरफा होता है. उसमें भावनाएं कम, जरूरत ज्यादा होती हैं. ऐसे घर हैं, जहां पिता और पुत्र बैठकर का बात करते हैं, समस्या का समाधान करते हैं, लेकिन अधिकतर घरों में यह संवाद अब नयी पीढ़ियों के लिए उपदेश लगता है. यह पुराने समय का टैग हो गया है. आज बच्चों को डांटना भी कठिन है, मारने की बात भूल ही जाइये. ये दूरियां विद्यालय में भी दिखती हैं. विद्यालय अब टू वे कम्युनिकेशन का सेंटर नहीं रहे. सवाल पूछना गंवार एवं कमजोरी की निशानी बन गयी है. शिक्षक भी पढ़ाने और सिखाने से ज्यादा बच्चों के सिलेबस खत्म करने पर अपना ध्यान केंद्रित रखते हैं. हर जगह संबंध, भावना, विचार, संवाद का अभाव है, लेकिन सब जल्दी में हैं. कहीं पहुंचने की होड़ है ! बच्चा क्या करना चाहता है और क्या करेगा ? इससे पिता बचने लगे हैं. समस्या यह कि जैसे ही सवाल किया, बच्चे निकल भागेंगे और पीछे छोड़ जायेंगे जवाब- अब हम बड़ा हो गये हैं. आप चिंता मत कीजिए. जानना अब दूसरे के लिए समस्या है ! चीजें इस कदर बदल रही हैं कि हरेक बाप अपने बच्चों के लिए करीब-करीब आउट ऑफ डेट हो रहा है. हां, यह भी सच है कि उम्र के ज्यादा होने से ज्ञान ज्यादा होगा. जरूरी नहीं है.

आधुनिक दौर में ज्ञान को थोपने का हरेक प्रयास नौनिहालों में बगावत पैदा करने लगा है. यह सच है कि वर्तमान दौर में पुराने तरीकें से चीजों को थोपा नहीं जा सकता है. अब यह समझने की जरूरत है कि बाप और बेटा का संबंध नये दौर में दो मित्र की तरह हो गया है. शिक्षक और विद्यार्थी का संबंध अब संतान और अभिभावक का नाता नहीं रहा. ये अब ज्यादा प्रोफेशनल हो गये. सिर्फ उम्र और पद से आगे रहने का दौर बीत गया है. अब संबंधों की नयी परिभाषा और उसका क्षेत्र बनाना होगा. जब फासले कम हो गये हैं तो आदतें भी बदलनी होंगी. अपने स्वभाव को, व्यवहार को और संबंध को नये सिरे से गढ़ना होगा. नये दौर में ज्ञान और भाषा का नवीनीकरण करना होगा. ज्ञान का मतलब विवेक नहीं होता है. यह बात समझना होगा. नौनिहालों के पास ज्ञान है, लेकिन विवेक और प्रज्ञा नहीं है. पहले के दौर में विवेक और ज्ञान समय के साथ आते थे. वर्तमान दौर में ज्ञान शिक्षा से आता है और प्रज्ञा हमारे अनुभव से आती है.

पुरानी पीढ़ियों के पास ज्ञान है, विवेक है, लेकिन वे जानकारी में नये दौर के बच्चों से पिछड़ गये हैं. यह एक सवाल है. इसके साथ ही नये दौर के बच्चों के पास इनर्जी ज्यादा है. इस इनर्जी और जानकारी के साथ ज्ञान और विवेक के बीच सेतु बनाने से ही समस्या का समाधान होगा. आज ज्ञान ही शक्ति है, लेकिन उनके पास प्रज्ञा नहीं है, वह आंख नहीं है, जो दुनिया देखती है! आंख यानी अनुभव जीवन की यात्राओं से मिलता है. वर्तमान भारत में कई पीढ़ियों का अंतराल दिख रहा है. एक पीढ़ी अगर 20 साल की होती है, तो तीन से चार पीढ़ियों के बीच संवाद और अंतराल का सवाल है. अब इन पीढ़ियों के बीच कोई संयोग नहीं बनेगा. कोई संवाद नहीं होगा तो उसका संकट आने वाले समय में दिखेगा. भारत की यह नयी समस्या है. इसके कारण शहर से लेकर गांव तक एक नयी समस्या जन्म ले रही है, जो भोगवाद, सुखवाद और भौतिकवाद में ही अपना जीवन देखती है.

इससे निजात पाने के लिए नयी पीढ़ियों को आगे आना होगा. पुरानी पीढ़ियों के विचार मजबूत होते हैं. वे कदाचित ही बदलने के लिए तैयार हों. नई पीढ़ियों को आधुनिक समाज की समस्याओं, मानसिक तनाव, बिखरते संबंध में मिटती पहचान के बारे में बताना होगा. अंतर्संबंध की ताकत, अस्तित्व का जुड़ाव, सरलता और सहजता के महत्व से जोड़ना होगा. ज्ञान ही उसका माध्यम बनेगा. जब पश्चिम की नयी पीढ़ियां अपने जीवन के विभिन्न पक्षों में इत्मीनान खोज रही है, स्वाभाविक जीवन में सुख को ढूंढ़ रही है और सरलता को ही जीवन बता रही है तो यह यूं ही नहीं हो गया है. व्यक्ति का जीवन हो या सभ्यता की गति. सबकुछ चक्रीय है. पश्चिमी सभ्यता समय के साथ गतिशील होकर पुनः उसी बिंदु पर आ पहुंचा है, जहां से उसे सही-गलत की पहचान हो गयी है. भारतीय सभ्यता को इसे बोध करना है तो इसका दो ही राहें हैं. पहली राह कि हम गलतियों से सीखें या दूसरी कि हम पश्चिम सभ्यता के ज्ञानबोध को अपने जीवन में उतारे. हमें समझना होगा कि जीवन खंड और एकांग नहीं है. सब कुछ संयुक्त है. जीवन को संयुक्त में देखेंगे तो संबंध भी रहेगा और संवाद भी बनेगा. इसके लिए समझदारी जरूरी है, जो ज्ञान के साथ आंतरिक प्रज्ञा से मिलेगा.

बाहरी जीवन को बदलने के लिए अपने अंदर पहले बदलाव लाना होगा. अपने अंदर को बदलने से चीजें स्वयं ही बदलने लगेंगी. इस आंतरिक बदलाव की पढ़ाई कहीं नहीं होती है. न घर में और न ही विद्यालय में. षड्दर्शन के दो आयाम सांख्य और न्यायदर्शन से बाहरी जीवन के विस्तार और बदलाव संभव है तो योग और वैशेषिक दर्शन हमारे आंतरिक बदलाव की प्रक्रिया बताते हैं. हमारे जीवन में जो अशांति है, जो उथल-पुथल मचा है, वह हमारी परिधि में है. गहरे भीतर में सबकुछ शांत है, बस उसका जागरण ही इस अंतराल की खाईं को पाट सकता है.

डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.

Subscribe
Login
Notify of
guest
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
ShareTweetSend
Previous Post

कोडरमा की तीन खबरें एक साथ पढ़ें

Next Post

जमशेदपुर : मारवाड़ी युवा मंच स्टील सिटी को सदस्यता विस्तार के लिए देश भर में छठा स्थान

Next Post
जमशेदपुर : मारवाड़ी युवा मंच स्टील सिटी को सदस्यता विस्तार के लिए देश भर में छठा स्थान

जमशेदपुर : मारवाड़ी युवा मंच स्टील सिटी को सदस्यता विस्तार के लिए देश भर में छठा स्थान

  • About Editor
  • About Us
  • Team Lagatar
  • Advertise with us
  • Privacy Policy
  • Epaper
  • Cancellation/Refund Policy
  • Contact Us
  • Terms & Conditions
  • Sitemap

© 2022 Lagatar Media Pvt. Ltd.

Social icon element need JNews Essential plugin to be activated.
No Result
View All Result
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • सिमडेगा
      • गुमला
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • सरायकेला
      • चाईबासा
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • हजारीबाग
      • चतरा
      • रामगढ़
      • कोडरमा
      • गिरिडीह
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ओपिनियन
  • हेल्थ
  • हाईकोर्ट
  • टेक – लगातार
  • मनोरंजन
  • लाइफ स्टाइल
  • व्यापार
  • वीडियो
  • आखर
  • खेल
  • राजनीति
  • शिक्षा
  • मौसम
  • उत्तर प्रदेश
  • ऑफबीट
  • आप की आवाज़
  • आपके लेख
  • धर्म
  • E-Paper
wpDiscuz
0
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
| Reply