गुलामी उन्मूलन का प्रारूप आर्थिक, सामाजिक पारंपरिक व अन्य दृष्टिकोण से भी समझा जा सकता है. जरूरी है कि हम अपने विचारों को स्वतंत्र रखें जहां बाध्यताएं बेड़ियां न बने. हर साल 2 दिसंबर को दुनिया में गुलामी के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. इस दिन को युनाइटेड नेशन्स जेनरल असेंबली ने 1949 में कमीशन किया गया था. विश्व स्तर पर इस दिन को गुलामी के उन्मूलन के लिए मनाया जाता है. इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस का उद्देश्य समाज में मौजूद किसी भी प्रकार की गुलामी को खत्म करना है. गुलामी के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मानव अधिकारों के महत्व पर जोर देता है. यह इसे भी सुनिश्चित करता है कि, लोग गुलामी की किसा भी तरह की बेड़ियों से मुक्त हों. दुनिया भर में कई संगठनों द्वारा लोगों को गुलामों के व्यापार और इसके विकास के बारे में जागरूक करने के लिए सत्र और कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.
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प्रत्येक 4 में से 1 बच्चा पीड़ित
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार लगभग 40 मिलियन लोग आधुनिक गुलामी के शिकार हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 24.9 मिलियन लोग जबरन श्रम करने को मजबूर है, और 15.4 मिलियन लोग जबरन शादी की जिदंगी जी रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों से पता चलाता है कि 1,000 में से 5.4 लोग आधुनिक गुलामी के शिकार हैं. संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल की रिपोर्ट में यह कहा था कि, विश्वभर में आधुनिक गुलामी के पीड़ितों में 4 में से 1 पीड़ित बच्चे होते हैं. 24.9 मिलियन श्रम पीड़ितो में 16 मिलियन लोगों का प्राइवेट क्षेत्रों में शोषण होता है.
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ग़ुलामी-प्रथा मानव अधिकारों के अनुच्छेद 4 को करती है खंडित
यूएन के अनुसार यह दिवस, गुलामी के खिलाफ लड़ाई लड़ने और बंधुआ मजदूरी, मजबूर श्रम, बाल श्रम, मानव तस्करी और जबरन शादी जैसे कई सामाजिक परेशानियों को समाप्त करने की प्रतिज्ञा करता है. आधुनिक काल की गुलामी जैसे कई मुद्दे और समस्याएं हैं जो यूएन के मानव अधिकारों के डिक्लियरेशन के अनुच्छेद 4 को उल्लंघित करती हैं. यूएन के मानव अधिकारों के डिक्लियरेशन के अनुच्छेद 4 अनुसार कोई भी ग़ुलामी या दासता की हालत में नहीं रखा जाएगा, ग़ुलामी-प्रथा और ग़ुलामों का व्यापार अपने सभी रूपों में बंद होगा.
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नौकरी और आमदनी भी एक कारण
16 से 18 नवंबर को आयोजित व्यापार और मानव अधिकारों वार्षिक फोरम में आइ.एल.ओ के डायरेक्टर गाय राय्डर(Guy Ryder) ने कहा था कि कोविड-19 के चलते, नौकरी और आमदनी कि कमी के कारण मानव और श्रम अधिकारों के दुरुपयोग का तेजी से बढ़ावा हुआ है. विशेष रूप से समाज में सबसे कमजोर लोगों इससे प्रभावित हुये है. कुछ विकासशील देशों इसकी काफी बढ़त नजर आ रही है. ऐसे देशों में स्कूल बंद होने और पारिवारिक आय में गिरावट के कारण बाल मजदूरी में उल्लेखनीय वृद्धि की रिपोर्टें दर्ज की गई है. साथ ही जबरन श्रम, मानव तस्करी और कार्यस्थल में भेदभाव में भी वृद्धि हुई है.
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