NewDelhi : जलवायु परिवर्तन के कारण इस सदी के अंत तक भारत में 4.5 से लेकर 5 करोड़ लोग खतरे में होंगे. मुंबई, चेन्नई, गोवा जैसी जगहों पर तटीय इलाके समुद्र में डूब सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर इंटर गवर्मेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की ताजा रिपोर्ट यही कहती है. आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है. भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है और भारतीय समुद्र तट की कुल लंबाई 7516.6 किलोमीटर है. ऐसे में भारत अपनी जनसंख्या की वजह से समुद्र स्तर में वृद्धि से प्रभावित होने वाले देशों में सबसे खराब स्थिति में है. भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के चलते वार्षिक तटीय बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है.
गर्म हवाओं और भारी वर्षा का सामना करना पड़ रहा है
रिपोर्ट के अनुसा देश के तटीय शहरों जैसे मुंबई, चेन्नई, गोवा, विशाखापत्तनम, ओडिशा में बढ़ते समुद्री जलस्तर से निचले इलाके जलमग्न हो जायेंगे. इन शहरों में समुद्र के 0.8 डिग्री गर्म हो जाने से चक्रवातों की आने की दर बढ़ने और उनकी तीव्रता बढ़ने से वे और उग्र होकर बार-बार आने लगे हैं. इसका असर इन तटीय शहरों के नागरिकों के जीवन पर पड़ रहा है. इन शहरों के लोगों को गर्म हवाओं और भारी वर्षा का सामना करना पड़ रहा है.
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत उन स्थानों में से है जो जलवायु परिवर्तन के चलते असहनीय परिस्थितियों का सामना करेगा. भारत के मैदानी शहरों जैसे दिल्ली , बिहार- पटना, लखनऊ , हैदराबाद में जलवायु परिवर्तन के चलते गर्मी में असहनीय तापमान, जानलेवा गर्मी और सर्दी के मौसम में भयानक सर्दी जैसी चरम मौसमी स्थितियां बन चुकी हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि वेट-बल्ब यानी गर्मी और उमस को जोड़ कर देखने वाला तापमान अगर 31 डिग्री सेल्सियस हो तो बेहद खतरनाक है.
जलवायु परिवर्तन की चपेट में आयेंगे उत्तर भारत के राज्य
रिपोर्ट पर नजर डालें तो उत्तरी और भारत के कई हिस्से सदी के अंत तक 31 डिग्री सेल्सियस से अधिक के बेहद खतरनाक वेट-बल्ब तापमान अनुभव करेंगे. अगर उत्सर्जन में वृद्धि जारी रही तो लखनऊ और पटना 35 डिग्री सेल्सियस के वेट बल्ब तापमान तक पहुंच जायेंगे. इसके बाद भुवनेश्वर, चेन्नई, मुंबई, इंदौर और अहमदाबाद में वेट बल्ब तापमान 32-34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का अनुमान है. कुल मिलाकर कहें तो असम, मेघालय, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब सबसे अधिक प्रभावित होंगे.
40 फीसदी लोग 2050 तक पानी की कमी के साथ रहेंगे
भारत में हिमालय की गोद में बसे नगरों में ग्लेशियर की बर्फ पिघलने की रफ्तार में तेजी से कभी पानी की कमी तो कभी बाढ़ जैसे पर्यावरणीय दुष्प्रभावों की वजह से स्थितियां ऐसी हो चुकी हैं , जिनकी भरपाई असंभव होगी. इनमें चमोली जैसे हादसों के पुनरावृत्ति होगी. भारत में लगभग 40 फीसदी लोग 2050 तक पानी की कमी के साथ रहेंगे, जबकि अभी यह 33 प्रतिशत है. गंगा और ब्रह्मपुत्र दोनों नदी घाटियों में भी जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप बाढ़ में वृद्धि देखी जाएगी. तेजी से पिघल रहे हिमालय के ग्लेशियरों की वजह से भारत में लगभग 40 प्रतिशत लोग 2050 तक पानी की किल्लत का सामना करेंगे, जबकि अभी यह 33 प्रतिशत है.
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