Dinesh Pandey
Bokaro: लॉकडाउन के कारण लोगों का रोजगार छीन गया है. लोग भूखमरी की कगार पर खड़े हैं. इनके लिए अभी अनाज मायने रखता है. चुकि दो जून की रोटी का जुगाड़ कर पाना वर्तमान परिस्थितियों में मुश्किल है. उपभोक्ताओं की मानें तो राशन वितरण में घोर अनियमितता बरती जा रही है. किसी को 4 किलो राशन, किसी को 20 किलो अनाज, किसी को 18 किलो राशन, तो किसी को 22 किलो अनाजा पीडीएस डीलर द्वारा दिया जाता हैं. आखिर वितरण का मानक क्या है ?
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स्टॉक और कार्डधारकों की संख्या पता नहीं
पिंडराजोरा के जन वितरण प्रणाली के दुकानदार कृष्णदेव महतो को स्टॉक एवं उनके दुकान में कितने लाभुक हैं ? इसकी जानकारी नहीं है. उनके मुताबिक दुकान की देख-रेख, स्टॉक की जानकारी दूसरा व्यक्ति रखता है. इनकी दुकान के कुल 300 कार्डधारी हैं. वे एक कार्ड पर 20 किलो अनाज देते हैं. जैसा कि जन वितरण प्रणाली के दुकानदार बताते हैं.
देना पड़ता है किराया – दुकानदार
जन वितरण प्रणाली के दुकानदार कृष्णदेव कहते हैं कि हमें किराया (भाड़ाबूता) भी देना पड़ता है. उनका इशारा था कि जो उपभोक्ताओं को कम अनाज दिया जाता है, वह भाड़ा के लिए किया जाता है. उन्हें जन वितरण प्रणाली की जानकारी तक नहीं है.
महीने में 2 दिन खुलती है दुकान
दुकानदार के स्टॉक उठाने का बाद 2 दिन दुकान खुलती है. ऐसे में उपभोक्ताओं की सुविधा से नहीं, दुकानदार की सुविधा से अनाज उठाव करना पड़ता हैं. जन वितरण प्रणाली की दुकान महीने में 2 ही दिन खुलती है.
धांधली से अंजान हैं अधिकारी
अनाज वितरण में हो रही धांधली से अधिकारी अनभिज्ञ हैं. लिहाजा दुकानदार ग्राहकों को लूट रहे हैं. और यह माल काला बाजारी करने वाले लोगों की जेब में जाता है. ऐसे में लाभुकों तक पहुंचने वाला उद्देश्य कैसे पूरा होगा ?