Tel Aviv : इजरायल स्थित NSO Group के कथिस मैलवेयर पेगासस (Pegasus) को लेकर भारत सहित दुनिया के कई देशों में बवाल मचा हुआ है. NSO पर आरोप है कि इसने पेगासस के जरिए पत्रकारों, नेताओं समेत प्रमुख लोगों की जासूसी की है. बता दें कि निजी इजरायली साइबर सुरक्षा फर्म NSO ने जासूसी वाली रिपोर्ट्स खारिज कर दी है.
NSO का कहना है कि रिपोर्ट् गलत धारणाओं और अपुष्ट सिद्धांतों पर आधारित हैं. NSO ने कहा है कि जासूसी की रिपोर्ट्स बिना किसी तथ्यों के प्रकाशित की गयी हैं. कहा कि वास्तविकता से उनका कोई संबंध नहीं है.
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50 हजार से अधिक लोगों के फोन नंबरों की सूची
जान लें कि पत्रकारिता से संबंधित पेरिस स्थित गैर-लाभकारी संस्था फॉरबिडन स्टोरीज एवं मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल’ द्वारा हासिल की गयी और 16 समाचार संगठनों के साथ साझा की गयी 50,000 से अधिक सेलफोन नंबरों की सूची से पत्रकारों ने 50 देशों में 1,000 से अधिक ऐसे व्यक्तियों की पहचान की है, जिन्हें NSO के ग्राहकों ने संभावित निगरानी के लिए कथित तौर पर चुना.
वैश्विक मीडिया संघ के सदस्य द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, जिन लोगों को संभावित निगरानी के लिए चुना गया, उनमें 189 पत्रकार, 600 से अधिक नेता एवं सरकारी अधिकारी, कम से कम 65 व्यावसायिक अधिकारी, 85 मानवाधिकार कार्यकर्ता और कई राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं.
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हम रिपोर्ट में लगाये गये झूठे आरोपों का खंडन करते हैं
NSO ने इस संबंध में बयान जारी कर कहा, फॉरबिडन स्टोरीज की रिपोर्ट गलत धारणाओं और अपुष्ट सिद्धांतों से भरी हुई है, जो स्रोतों की विश्वसनीयता और हितों के बारे में गंभीर संदेह पैदा करती है. ऐसा लगता है कि अज्ञात स्रोतों ने ऐसी जानकारी दी है जिसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है और जो वास्तविकता से बहुत दूर हैं. इस क्रम में NSO ने कहा कि हम उनकी रिपोर्ट में लगाये गये झूठे आरोपों का खंडन करते हैं.
उनके स्रोतों ने उन्हें ऐसी जानकारी प्रदान की है जिसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है, ये उनके कई दावों के लिए सहायक दस्तावेजीकरण की कमी से स्पष्ट है. NSO के अनुसार वास्तव में आरोप इतने अपमानजनक हैं कि वह मानहानि के मुकदमे पर विचार कर रहा है.
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भारतीय नेताओं और पत्रकारों की जासूसी का आरोप
मीडिया घरानों के एक संघ की जांच में आरोप लगाया गया है कि फोन हैकिंग सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए 38 भारतीय पत्रकारों की जासूसी की गयी. इसके अलावा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा सहित दुनिया भर में संभावित हजारों लोगों को निशाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद भारत में राजनीतिक बवाल मच गया. कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर जासूसी का आरोप लगाया है.. हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है.
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