SriHarikota : ISRO का सूर्य मिशन PSLV-C57/Aditya-L1 आज शनिवार सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस स्टेशन से सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर इतिहास रचने की दिशा में कदम बढ़ा दिये. बता दें कि इस मिशन पर देश के साथ-साथ विश्व भर की निगाहें टिकी हुई हैं. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
यह लॉन्चिंग पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट से की गयी है. इस रॉकेट की यह 25वीं उड़ान थी. रॉकेट PSLV-XL आदित्य को उसके तय ऑर्बिट में छोड़ने निकल गया है. लॉन्च के करीब एक घंटे बाद आदित्य-एलवन अपनी तय कक्षा में पहुंचेगा.
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO) launches India’s first solar mission, #AdityaL1 from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota, Andhra Pradesh.
Aditya L1 is carrying seven different payloads to have a detailed study of the Sun. pic.twitter.com/Eo5bzQi5SO
— ANI (@ANI) September 2, 2023
127 दिन बाद Aditya-L1 अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा
ISRO के अनुसार लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद Aditya-L1 अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा. इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद Aditya-L1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा. श्रीहरिकोटा में लॉन्चिंग के लिए आज मौसम एकदम उपयुक्त था. हवा 13 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रही थी. तापमान 33-34 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा. आसमान में हल्के-फुल्के बादल छाये हुए हैं.
आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष यान
आदित्य एल1 को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है. आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष यान होगा.
आदित्य एल1 के 125 दिनों में लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लैग्रेंजियन बिंदु एल1 के आसपास हेलो कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद है, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है.
यह पीएसएलवी की 59वीं उड़ान है
बता दें कि यह पीएसएलवी की 59वीं उड़ान है.एक्सएल वैरिएंट की 25वीं उड़ान है.इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से की गयी है. यह रॉकेट 145.62 फीट ऊंचा है. इसरो के अनुसार यह रॉकेट आदित्य-L1 को धरती की निचली कक्षा में छोड़ेगा. जिसकी पेरिजी (धरती से नजदीकी दूरी) 235 किलोमीटर और एपोजी (अधिकतम दूरी) 19,500 किलोमीटर होगी.
वैज्ञानिक तौर बहुत फायदेमंद साबित होने वाला है मिशन
आदित्य एल1 मिशन को लेकर पद्मश्री पुरस्कार विजेता और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुराई ने कहा कि एल1 बिंदु तक पहुंचना और उसके चारों ओर एक कक्षा में लगातार घूमना तकनीकी रूप से चुनौती भरा है. इस क्रम में बेहद सटीक पॉइंट पर पांच वर्षों तक लगातार सर्वाइव करना भी चुनौती भरा है.अन्नादुराई ने कहा, यह वैज्ञानिक रूप से बेहद फायदेमंद होने वाला है, क्योंकि इसके सात उपकरण उन घटनाओं को जानने-समझने की कोशिश करेंगे कि वहां क्या हो रहा है.
आदित्य-एल1 के बारे में जानें
आदित्य-एल1 भारत का पहला सोलर मिशन है. इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है. इसमें 7 पेलोड्स हैं.आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट को धरती और सूरज के बीच एल1 ऑर्बिट में रखा जायेगा. यह सूरज और धरती के सिस्टम के बीच मौजूद पहला लैरेंजियन प्वाइंट होगा. इसलिए उसके नाम में L1 जुड़ा है. जान लें कि L1 असल में अंतरिक्ष का पार्किंग स्पेस है. जहां कई उपग्रह तैनात हैं. आदित्य-एल1 धरती से 15 लाख km दूर स्थित इस प्वाइंट से सूरज की स्टडी करेगा.