- आदिवासियों का सृष्टि तीर्थ स्थल गुमला सिरसिता नाले मेला 29 को, पूरे देश के आदिवासी जुटेंगे
Ranchi : आदिवासियों का पवित्र सृष्टि तीर्थ स्थल गुमला के सिरासिता नाले उत्सव इस बंसत पंचमी को न होकर 29 जनवरी को आयोजित किया जाएगा. बसंत पंचमी के दिन गणतंत्र दिवस भी है. इसको देखते हुए अब इसे आगे बढ़ाते हुए 29 जनवरी किया गया है. 28 जनवरी को सभी सरना धर्मावलंबी अपने-अपने गांव से रात्रि में ही निकलेंगे. 29 जनवरी को सुबह 9 बजे तक सिरासिता नाले के केकडोलता में पूजा-पाठ करेंगे और विशेष प्रार्थना करेंगे. इसके बाद धर्म कुंडों और डबनी चुआं, गंगला खाइड के पास सिरसी गांव के दोन में अंतिम शांति विनती की जायेगी. इसकी अगुवाई राष्ट्रीय सरना धर्मगुरु डॉ. प्रो प्रवीण उरांव, राष्ट्रीय सरना धर्म अध्यक्ष नीरज मुंडा, प्रदेश सरना धर्मगुरू राजेश लिंडा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सोमे उरांव, राष्ट्रीय महासचिव जलेश्वर उरांव, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बिरसा उरांव के साथ प्रमंडल और जिला धर्मगुरु करेंगे. रांची से 170 किमी दूर गुमला जिले के डुमरी प्रखंड की अकासी पंचायत में स्थित सिरासिता नाले सरना धर्मियों का पवित्र तीर्थस्थल है. राज्य के सरना धर्मावलंबियों की मान्यता है कि यहां स्नान करने भर से जीवन के सारे दुख और समस्याओं का समाधान हो जाता है.
रांची से ये भी जाएंगे कार्यक्रम में
रांची से इस मेले में भाग लेने के लिए अजय तिर्की, आनंद खलखो, गैना कच्छप, प्रदेश उपाध्यक्ष बिगू उरांव, अमित गाड़ी, निरंजन उरांव, महिला प्रकोष्ठ उपाध्यक्ष सुष्मिता कच्छप, सीता उरांव, रश्मि मिंज, गीता गाड़ी, राजकुमारी उरांव, सुनीता उरांव, और मुन्नी कच्छप, बबली उरांव, मुन्नी मुंडा, सुमिता भी जाएंगे.
सरना धर्म के आदिवासी इसे सृष्टि स्थल भी मानते हैं
सरना धर्मावलंबियों का पवित्र सृष्टि तीर्थ स्थल गुमला स्थित सिरसिता नाले उत्सव में भाग लेने रांची सहित पूरे राज्य से हजारों की संख्या में सरना धर्मी गुमला जाएंगे. राष्ट्रीय सरना धर्म गुरू प्रो प्रवीण उरांव ने बताया कि यह सरना आदिवासियों का पवित्र तीर्थ स्थल है. सरना धर्म के आदिवासी इसे सृष्टि स्थल भी मानते हैं. सिरासिता नाले पुटरूगी पहाड़ की घाटी दोन में अवस्थित है. पहाड़ पर केकडोलता जलश्रोत, धर्म कुंडों, धर्मेश एवं चाला पच्चों का सिंहासन और खेत है. पहाड़ की चोटी पर ढकनी चुआं और चाला एड़पा के पवित्र स्थल हैं. आदिवासी समूह के लोग यहां की पवित्र यात्रा हर साल जनवरी में करते हैं. इसमें विभिन्न प्रदेशों के आदिवासी समाज के लोग भी शामिल होते हैं. प्रत्येक गुरुवार को यहां पर विशेष पूजा होती है. महिला लाल पाढ़ की साड़ी व पुरुष धोती व गंजी पहनकर इस पूजा में शामिल होते हैं.
स्नान करने से सभी समस्या का समाधान हो जाता है
उन्होंने बताया कि सरना आदिवासियों में ऐसी मान्यता है कि यहां पर स्नान भर कर लेने से सभी दुख दूर हो जाते हैं. मेले में भीड़ को देखते हुए एक हजार स्वयं सेवकों को तैनात किया जा रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो. उन्होंने कहा कि हर सरना धर्मी को कम से कम अपने जीवन में एक बार यहां जरूर आना चाहिए. यहां पर आने, पूजा-पाठ और स्नान करने से सभी समस्या का समाधान हो जाता है. यह झारखंड का प्रमुख तीर्थ स्थल है.
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