Chennai : मद्रास उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी है. जान लें कि उच्च न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक अधिकारी द्वारा आर्थिक अपराध में शामिल एक महिला से तीन करोड़ की जबरन वसूली के आरोप में दायर एक रिट याचिका को निपटाने में छह साल लगाये थे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी गयी है. खबरों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में मद्रास उच्च न्यायालय से इस मामले को जल्द निबटाने को कहा था, लेकिन इसमें छह साल की देरी हो गयी.
इसे भी पढ़ें : ग्रेटा थनबर्ग की नजर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता विफल, कहा, समिट महज दिखावे का मंच
न्यायमूर्ति सीवी कार्तिकेयन ने माफीनामा जमा किया
रिट याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सीवी. कार्तिकेयन ने लिखा कि मुझे इसके साथ माफी का एक नोट संलग्न करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट की आशा और विश्वास पर उच्च न्यायालय खरा नहीं उतरा. छह साल से अधिक समय के बाद मामले की पूरी सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने बताया कि याचिकाकर्ता प्रमोद कुमार 2009 में पुलिस महानिरीक्षक (पश्चिम क्षेत्र) के रूप में कार्यरत थे, जब तिरुपुर सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने पाजी फॉरेक्स ट्रेडिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के तीन निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इन सभी पर आकर्षक रिटर्न का वादा कर जनता से करोड़ों रुपये वसूली का आरोप लगाया गया था.
इसे भी पढ़ें : अमेरिका में मांगी गयी Covaxin के इस्तेमाल की मंजूरी, 2-18 साल उम्र वालों को लगेगी कोवैक्सीन !
3 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी
दो अधिकारियों प्रमोद कुमार, आईपीएस, तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक, पश्चिम जोन, कोयंबटूर और वी मोहन राज, पूर्व पुलिस निरीक्षक, सीसीबी, तिरुपुर के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने मामले में मुख्य आरोपियों एवं पैजी के निदेशकों के मोहन राज, के कतिरावन और ए कमालावल्ली को बचाने के लिए कथित तौर पर 3 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी. कंपनी पर जमाकर्ताओं से भारी ब्याज के साथ वापसी का झूठा वादा करके लगभग 100 करोड़ रुपये कथित तौर पर जमा किये थे और उन्हें धोखा दिया था.
इसे भी पढ़ें : टू जी घोटाला मामला : सलमान खुर्शीद ने कहा, पीएम मोदी, विनोद राय देश से माफी मांगे, सच सामने आ चुका है
2011 में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी
इस मामले में 2011 में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. जब दो पुलिस अधिकारियों द्वारा याचिका दायर की गयी थी, तब चेन्नई में सीबीआई, आर्थिक अपराध शाखा द्वारा जांच की जा रही थी. दोनों पूर्व पुलिस अधिकारियों ने मद्रास हाईकोर्ट से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को तिरुपुर में पैजी फॉरेक्स ट्रेडिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े एक मामले की जांच करने से रोकने का अनुरोध किया था.