Ranchi : CBSE और ICSE बोर्ड के साथ ही निकलेगा जैक बोर्ड का रिजल्ट. सीएम ने यह निर्देश दे दिया है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को निर्देश दिया गया है कि झारखंड बोर्ड के 10वीं और 12वीं का परीक्षाफल सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के साथ ही अथवा उसके कुछ दिन पहले या तुरंत बाद प्रकाशित कर दिया जाए. सीबीएसई और आईसीएसई और कई अन्य राज्यों द्वारा 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द करने के साथ परीक्षा फल के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. मुख्यमंत्री को आशंका है कि जैक बोर्ड के रिजल्ट में देरी से यहां के छात्र अन्य राज्यों में नामांकन लेने से वंचित हो सकते हैं.
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रिजल्ट का आधार क्या होगा, इस पर फंसा है पेंच
जैक बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द होने के साथ ही अटकलों का दौर शुरू हो गया है कि छात्रों के रिजल्ट का आधार क्या होगा. कई विशेषज्ञों का कहना है 10वी के अंकों का आधार विद्यालय में लिए गए इंटरनल एग्जाम को बनाना चाहिए. सीबीएसई के संदर्भ में यह उचित भी प्रतीत होता है. क्योंकि सीबीएसई के स्कूलों ने लॉकडाउन में भी ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखी थी और उनके द्वारा इंटरनल परीक्षाएं भी ली गई थी. लेकिन जैक बोर्ड के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता. जैक बोर्ड के स्कूल पिछले साल लॉकडाउन के समय से ही बंद है. कुछ शिक्षकों ने अपने निजी स्तर से जरूर छात्रों को पढ़ाने का काम किया है. लेकिन उन्हें भी अध्यापन के अतिरिक्त समय समय पर कोविड ड्यूटी में लगाया गया. जैक बोर्ड के शिक्षक छात्रों को पढ़ाने में कम कोविड के कार्यों में ज्यादा व्यस्त रहे. इसलिए इस बात की प्रबल संभावनाएं है कि 10वी के रिजल्ट जारी करने में को 9वी के रिजल्ट को आधार बनाया जा सकता है.
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कई जगह इंटरनल टेस्ट नहीं हुआ
अगर 12वीं के रिजल्ट की बात की जाए तो +2 स्तर के अधिकतर निजी कॉलेजों द्वारा लॉकडाउन के समय भी ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई जारी रही. पढ़ाई के साथ साथ इन कॉलेजों में इंटरनल टेस्ट भी होते रहे. इसलिए ऐसे कॉलेज इंटरनल परीक्षाओं को फाइनल रिजल्ट का आधार बनाने के पक्ष में है. लेकिन विश्वविद्यालयों के अंतर्गत चलने वाले महाविद्यालय जहां +2 लेवल की पढ़ाई होती है, वहां किसी भी प्रकार का इंटरनल टेस्ट का आयोजन नहीं किया गया. इसलिए सरकार अगर इंटरनल एग्जाम को आधार बनाती है, तब इन कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को परेशानी होगी. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा लगता है सरकार 11वीं के अंकों के आधार पर 12वीं का रिजल्ट जारी करे.
लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर किसी छात्र ने 11वी में खूब पढ़ाई कर अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुआ. लेकिन 12वीं में उसने पढ़ाई नहीं की. अब क्या उस छात्र का 11वीं के आधार पर 12वीं का रिजल्ट जारी करना उचित रहेगा? इसके उलट अगर किसी छात्र को 11वीं में कम नंबर आए हो, लेकिन अब उसने 12वीं में मेहनत की हो, लेकिन उस छात्र को 11वीं के आधार पर कम नंबर देना न्यायसंगत होगा?