Jamshedpur (Sunil Pandey) : दो महीने से बालू और गिट्टी की गाड़ियों की धरपकड़ होने से इस कारोबार से जुड़े मजदूरों के समक्ष इन दिनों भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई हैं. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में सरकार की विकास योजनाएं ठप्प पड़ गई हैं. मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. जिसके कारण उनमें सरकार एवं प्रशासन के प्रति गुस्सा है. अगर जल्द इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो श्रीलंका की तरह यहां भी सरकार को मजदूरों एवं आम लोगों का कोप भाजन बनना पड़ेगा. ये बातें पोटका के पूर्व पार्षद करूणामय मंडल ने कही. उन्होंने कहा कि दो वर्ष पहले कोरोना महामारी के कारण मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हुआ था. लेकिन महामारी का दौर कम होने के बाद यह संकट धीरे-धीरे खत्म हो रहा था. इसी बीच दो माह से जिला प्रशासन की कड़ाई के चलते मिट्टी, गिट्टी एवं बालू के कारोबार से जुड़े मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है.
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निर्माण कार्य ठप्प, मजदूर हुए बेरोजगार
करूणामय मंडल ने कहा कि गिट्टी-बालू की सप्लाई बंद होने से सरकारी (प्रधानमंत्री आवास, अम्बेडकर आवास, शौचालय निर्माण आदि) एवं नीजी निर्माण कार्य प्रायः ठप्प हो गए हैं. इसके कारण इस क्षेत्र में रोजगार में लगे मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. एक मजदूर की कमाई पर उसका पूरा परिवार निर्भर रहता है. ऐसे में मजदूर के बेरोजगार होने से पूरे परिवार पर भरण-पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है. उन्होने कहा कि अवैध खनन, परिवहन करने वालों पर निःसंदेह कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन जिला प्रशासन को ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए. जिससे निर्माण कार्य बंद नहीं हो. उन्होंने मजदूरों के हित में जिला प्रशासन से इस ओर ध्यान देने की अपील की.
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महंगाई से जीना हुआ मुहाल
उन्होंने कहा कि आमदनी की अनुपात में खर्च बढ़ते जा रहा है. वहीं बेरोजगार हुए मजदूरों के समक्ष महंगाई भी एक गंभीर समस्या है. घर-परिवार चलाने के अलावे बच्चों की पढ़ाई, महिला समूह द्वारा बैंक से लिया गया ऋण चुकता करने का बोक्ष, बीमारी समेत अन्य समस्याएं इन दिनों उन्हें लाचार बना रहा हैं. उन्होंने कहा कि मरता क्या नहीं करता. अगर जल्द सरकार एवं जिला प्रशासन की ओर से इस संबंध में सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई तो, हजारों मजदूर एवं उनका परिवार सड़कों पर उतरने को विवश होंगे. जिस तरह पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में जनता का गुस्सा फूटा है. उन्होंने जिला प्रशासन से ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं को देखते हुये कम से कम छोटी गाड़ियों की पाबंदियों पर लगी रोक हटाने की मांग की. ताकि गरीब हित की योजनायें समय पर सम्पन्न हो सके एवं गरीब मजदूरों को रोजगार भी मिल सके.
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