Ashok Kumar
Jamshedpur : टाटानगर रेलवे स्टेशन से खुलने वाली यात्री ट्रेनें साफ-सफाई के अभाव में 9 माह पहले विलंब से चला करती थी, लेकिन अब इस तरह की समस्या से निजात मिल गई है. स्टेशन के सिक लाइन में जब से नई मशीन लगी है तब से ट्रेनों को समय पर ही प्लेटफार्म पर प्लेस किया जा रहा है. रेल यात्रियों को भी साफ-सफाई को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है. जो काम दर्जन भर से ज्यादा रेल कर्मचारी छह घंटे में किया करते थे वह काम अब 10 से 15 मिनट में ही पूरा हो रहा है. रेलवे की ओर से इस काम को निजी हाथों में दे दिया गया है. इसके लिए मशीन 2.11 करोड़ रुपये की लागत से लगायी गयी है.
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कोचिंग डिपो में लगी है ऑटोमेटिक कोच वाशिंग यूनिट
ट्रेनों की साफ सफाई करने वाली मशीन का नाम ऑटोमेटिक कोच वाशिंग यूनिट दिया गया है. वाशिंग यूनिट में दर्जन भर उपकरण लगे हुये हैं जिससे साफ-सफाई का काम पूरा किया जायेगा. सिर्फ बाहरी हिस्से की सफाई के लिये ही यह मशीन है. पहले भी कोच के भीतर रेल कर्मचारी ही इसकी साफ-सफाई करते थे और अब भी वही व्यवस्था लागू है. बाहरी हिस्से की सफाई के लिये प्री वाशर, वाशर, वाटर स्प्रेयर, ड्रायर के साथ-साथ अन्य तरह से साफ-सफाई का काम कराया जाता है.

80 प्रतिशत पानी की हो रही है बचत
जानकार लोगों का कहना है कि नई यूनिट के लग जाने से टाटानगर रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन की साफ-सफाई करने में 80 प्रतिशत पानी की भी बचत हो रही है. जिस पानी से ट्रेन की साफ-सफाई की जा रही है उस पानी को फिर से रिसाइकिल करने का भी काम किया जा रहा है. ऑटोमेटिक वाशिंग यूनिट से एक ट्रेन की साफ-सफाई करने में 10-15 मिनट तक का ही समय लग रहा है. जबकि इसके पहले तक छह घंटे से भी ज्यादा का समय लगता था.
ट्रेन को तैयार करने मे मिल रही है सहूलित
नई मशीन के लग जाने से अब ट्रेनों को तैयार करने में काफी सहूलियत मिल रही है. ट्रेनों की साफ-सफाई कर उसे समय पर गंतव्य के लिये रवाना कर दिया जा रहा है. टाटानगर रेलवे स्टेशन से 100 जोड़ी से भी ज्यादा ट्रेनों का परिचालन होता है. इसमें से 25 फीसदी ट्रेनों को टाटानगर रेलवे स्टेशन से ही खोला जाता है. इसमें पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल हैं.
26 कोच वाली ट्रेनों की सुविधा
नई मशीन से 26 कोच वाली ट्रेनों की भी साफ-सफाई करने की सुविधा है. वाशिंग लाइन में आसानी से 26 कोच वाली ट्रेनों को प्लेस किया जाता है. बाहर से ट्रेनों के टाटानगर स्टेशन पर पहुंचते ही उसे वाशिंग लाइन में लगा दिया जाता है. वाशिंग लाइन में ट्रेनों की सिर्फ साफ-सफाई ही नहीं होती है बल्कि उसकी मरम्मत भी की जाती है. इसके लिये अलग-अलग विभाग बने हुये हैं जो अपना पूरा काम देखते हैं. ट्रेनों को पूरी तरह से फीट करने के बाद ही प्लेटफार्म पर प्लेस किया जाता है.
एजेंसी करेगी तीन साल तक मशीन का मेंटेनेंस
रेलवे की ओर से 2.11 करोड़ रुपये में वाशिंग मशीन तो खरीदकर दे दिया गया है, लेकिन इसका मेंटेनेंस का जिम्मा एजेंसी को दिया गया है. तीन साल तक इसमें जो भी खराबी आयेगी उसे ठीक कराने का काम एजेंसी करेगी.
दक्षिण पूर्व रेलवे में टाटानगर को मिला है मौका
दक्षिण पूर्व रेलवे की बात करें तो इसमें सिर्फ टाटानगर रेलवे स्टेशन को ही पहला मौका दिया गया है. टाटानगर को पहले से ही मॉडल स्टेशन का नाम दिया गया है. इस स्टेशन पर उस तरह की सभी सुविधायें दी जा रही है जो यात्रियों को सुविधा दे सके. इस तरह की सुविधा रेलवे की ओर से वैसे स्टेशनों पर देने की योजना है जहां से रोजाना 100 से भी ज्यादा ट्रेनों का परिचालन होता है.
कोट-
टाटानगर स्टेशन को मॉडल स्टेशन का दर्जा रेलवे की ओर से पहले से दिया गया है. यह चक्रधरपुर रेल मंडल का ही हिस्सा है, लेकिन यहां से रेलवे को पूरे रेल मंडल से सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है. उसी के हिसाब से इस स्टेशन पर यात्री सुविधाओं में भी बढ़ोतरी की जा रही है. वाशिंग के लिये नई मशीन के लग जाने का लाभ रेल यात्रियों को ही मिल रहा है.
मनीष कुमार पाठक, सीनियर डीसीएम, चक्रधरपुर रेल मंडल.
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