Ranchi: राज्य स्वास्थ्य आपातकाल की ओर बढ़ रहा है. इसके लिए दोषी हैं सूबे के तीन वरिष्ठ IAS अफसर. दरअसल विभिन्न मांगों को लेकर आठ नवंबर से एनआरएचएम में कार्यरत 50 हजार संविदा पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल पर जाने वाले हैं. चार माह से इनको मानदेय नहीं मिला है. इनमें एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ हैं. सरकारी विभागों में अनुबंध पर नियुक्त कर्मियों का सेवा काल 10 साल से अधिक हो चुका है. लेकिन वेतन के नाम पर महज 10 से 20 हजार का भुगतान किया जा रहा है. इनके हड़ताल पर चले जाने से राज्य की स्वास्थ्य सुविधा पूरी तरह चरमरा जाएगी. राज्य में संभावित स्वास्थ्य सुविधा में आपातकाल की स्थिति आ सकती है. इसके लिए 50 हजार संविदा पर काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को दोष देना गलत होगा. राज्य को इस स्थिति तक पहुंचाने में विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह, कार्मिक सचिव वंदना डाडेल और वित्त सचिव अजय कुमार सिंह को दोषी ठहराया जाना चाहिए.
अनुबंधकर्मी ने साझा की परेशानी
एक अनुबंध कर्मी ने अपनी बातों को लगातार न्यूज से साझा करते हुए कहा कि सरकार काम नहीं करेंगी तो पांच साल में बदल देंगे. राज्य में कल भाजपा की सरकार थी, आज झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार है. सरकारें आती हैं और जाती हैं, लेकिन नौकरशाह लंबे समय तक सत्ता और पद का आनंद लेते हुए रहते हैं, लेकिन जब तक उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी नहीं किया जाता है, तब तक वे शायद ही किसी बड़े मुद्दे को निपटाते हैं.
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एनएचएम अनुबंधकर्मी, नौकरशाहों की कार्यशौली और आचरण पर सवाल खड़े किये
पांच साल के कार्यकाल वाले सरकारी मंत्रियों के विपरीत स्थायी नौकरी में रहने वाले नौकरशाह को राज्य के विकास से लेकर मौजूदा समस्याओं को हल करने और नीति निर्धारण का जिम्मा है. जिन्हें सरकारी खजाने से वेतन, भत्ता, गाड़ी बंगला से लेकर अन्य कई सुविधाएं सरकार देती हैं. इसके बावजूद काम नहीं करते हैं, तो उनकी ओर से कौन काम करेगा. एनएचएम ठेका कर्मचारी ने सवाल किया कि “अगर नौकरशाह, जिनके पास पांच साल के कार्यकाल वाले सरकारी मंत्रियों के विपरीत स्थायी नौकरी है, सभी सुविधाएं प्राप्त करने के बावजूद काम नहीं करेंगे, तो उनकी ओर से कौन काम करेगा”
झारखंड कर्मचारी महासंघ के संयुक्त सचिव सुशील कुमार पांडेय कहते है? “स्वास्थ्य विभाग नर्सों, लैब तकनीशियनों, फार्मासिस्टों, ओटी परिचारकों, डॉक्टरों के अलावा अन्य सहित अनुबंध कर्मचारियों पर निर्भर करता है, लेकिन बेशर्म नौकरशाह उनके वेतन की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं हैं. संविदा कर्मियों को कई माह से वेतन नहीं मिला है. संविदा स्वास्थ्य कर्मी पोषण सखियों के अलावा स्वास्थ्य सहियाओं को भी पिछले कई माह से मानदेय नहीं मिला है. ऐसी स्थिति में कोई नौकरशाह का सम्मान कैसे कर सकता है?
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इन अफसरों को मिली थी जिम्मेवारी
अरुण कुमार सिंह, अजय कुमार सिंह और वंदना डाडेल को अन्य विभागों के अलावा एनएचएम के लिए काम करने वाले अनुबंध कर्मचारियों को संभालना है. सरकार ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में अगस्त 2020 में एक उच्च स्तरीय कमिटी का गठन किया था. इस कमेटी में कार्मिक सचिव को सदस्य सचिव और योजना सह वित्त सचिव को कमेटी का सदस्य बनाया गया था. इस उच्चस्तरीय कमेटी का काम अनुबंध पर कार्यरत कर्मियों की संख्या, नियुक्तियों में अपनायी गयी प्रक्रिया की विवरणी, उनकी सेवा शर्तों, सेवा अवधि और मानदेय की विवरणी, न्यायालय के आदेश के आलोक में कर्मियों की सेवा नियमितीकरण की संभावनाएं और उनकी वर्तमान सेवा शर्तों के सुधार के संबंध में परामर्श देना था. लेकिन इस कमेटी ने 14 माह में एक बैठक भी नहीं की.