Ranchi : कोरोना वैक्सीन को लेकर जेएमएम और बीजेपी के बीच जंग लगातार जारी है. वैक्सीन बर्बादी को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट और प्रदेश बीजेपी नेताओं के हेमंत सरकार पर लगातार हमले का जवाब जेएमएम दे रहा है. इसी कड़ी में अब जेएमएम ने वैक्सीन बांटने में केंद्र की पारदर्शी और समावेशी नीति पर सवाल उठाया है. पार्टी ने कहा है कि गुजरात, बिहार और झारखंड की आबादी को देखें, तो गुजरात को काफी अधिक वैक्सीन मिली है. वहीं झारखंड और बिहार को वैक्सीन देने में केंद्र ने भेदभाव किया है. जेएमएम ने पूछा है कि आखिर क्यों और किस नीति के तहत गुजरात को ज़्यादा वैक्सीन दी गई. आखिर आदिवासी-दलित पिछड़े राज्यों के साथ क्यों भेदभाव किया जा रहा है? क्या देश में आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों के जान की क़ीमत नहीं है? क्या गुजरातवासियों की जान की कीमत झारखंडियों और बिहारियों से ज़्यादा है ?
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गुजरात को प्रति 1 करोड़ आबादी पर 28 लाख वैक्सीन, तो झारखंड को 15 लाख और बिहार को 8 लाख, क्यों
जेएमएम ने कहा है कि गुजरात की आबादी 6.2 करोड़ है. उसे कुल 1.62 करोड़ वैक्सीन मिला है. यानी प्रति 1 करोड़ आबादी पर 28 लाख वैक्सीन. वहीं झारखंड की आबादी कुल 3.25 करोड़ है. राज्य को कुल 48 लाख वैक्सीन मिला है. यानी प्रति 1 करोड़ आबादी पर 15 लाख वैक्सीन. इसी तरह बिहार की आबादी 12.8 करोड़ है. बिहार को कुल 1 करोड़ वैक्सीन दिया गया है. यानी प्रति 1 करोड़ आबादी पर करीब 8 लाख वैक्सीन.
वैक्सीन बंटवारे के लिए पारदर्शी और समावेशी नीति बनाने में क्यों पीछे है केंद्र
जेएमएम ने कहा है कि आखिर केंद्र सरकार वैक्सीन बंटवारे के लिए पारदर्शी एवं समावेशी नीति बनाने में क्यों पीछे है? एक देश-एक विधान-एक नीति की बात करने वाली बीजेपी आखिर क्यों देशवासियों को अलग-अलग चश्मे से देख रही है?
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रखने के लिए आपको वैक्सीन आपको देना देश हित में है क्या? : बाबूलाल मरांडी
बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि आप जितना उपयोग करेंगे, उसी अनुपात में तो वैक्सीन मिलेंगे. रखने के लिए, बर्बाद करने के लिए आपको देना देश हित में है क्या?. अपनी ख़ामियों को छिपाने के लिए कुछ भी लिख देते हैं. झारखंड को बचाने में ध्यान लगायें और नहीं समझ में आता है तो अपने पड़ोस में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बात करें.