Ranchi: झारखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से छठ महापर्व मनाने को लेकर गाइडलाइन जारी की गयी. गाइडलाइन में छठ घाटों पर किसी भी तरह के आयोजन को लेकर पाबंदी लगायी गयी है. सरकार की तरफ से गाइडलाइन जारी करने के बाद से ही बीजेपी और समाज के कई तबकों की ओर से इसका विरोध होना शुरू हो गया था.
लगातार न्यूज नेटवर्क की तरफ से सत्ता पक्ष और विपक्ष की तरफ से उनकी राय मांगी गयी थी. जेएमएम ने गाइडलाइन को सही बताया था, वहीं विपक्षी पार्टी बीजेपी की तरफ से फैसले को गलत बताया गया और सरकार को इसपर विचार करने की बात कही गयी.
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जेएमएम ने सीएम से गाइडलाइन बदलने का किया आग्रह
सत्तासीन पार्टी जेएमएम ने छठ घाट को लेकर जारी किये गये गाइडलाइन पर पुनर्विचार करने का आग्रह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से किया. जेएमएम के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडे ने मामले पर हेमंत सोरेन से मुलाकात की. उन्होंने पार्टी की तरफ से एक चिट्ठी हेमंत सोरेन को सौंपी.
चिट्ठी में गाइडलाइन को बदलने का आग्रह करने को लेकर लिखा गया है. कहा गया है कि घाट पर ज्यादा भीड़ ना जुटाते हुए छठ घाट पर व्रतियों को अर्घ्य देने की पांबदी खत्म की जाये.
कांग्रेस ने भी किया विरोध
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने छठ पूजा नदी, तालाब और डैम के किनारे नहीं करने के निर्णय को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय छठ के प्रति आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने वाला निर्णय है.
अधिकारी केवल कोविड-19 को केंद्र बिंदू में रखकर निर्णय लेते हैं. उन्हें यह भी समझना पड़ेगा कि आस्था के लोक पर्व छठ पूजा में असंख्य लोगों का विश्वास है और ऐसे में इस तरह का निर्णय सही नहीं है.
राजेश ठाकुर ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अविलंब हस्तक्षेप करने की मांग की. कहा कि कोविड-19 की वजह से सावधानी ज़रूरी है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि किसी को छठ घाट के किनारे पूजा करने से रोका जाये.
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