Ranchi : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के गठन को 20 वर्ष हो चुके हैं. अब तक जेपीएससी द्वारा की गयी ज्यादातर नियुक्तियों पर सवाल खड़े होते रहे हैं.
मगर पूर्व आइपीएस अधिकारी अमिताभ चौधरी के जेपीएससी अध्यक्ष बनने के बाद संस्था की कार्यशैली में भारी फेरबदल देखने को मिल रहा है, जेपीएससी ने 2400 रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित कार्य शुरू कर दिया है. राज्य स्थापना दिवस के बाद प्रक्रिया में और तेजी आएगी.
जेपीएससी परीक्षा में पारदर्शिता लाना बड़ी चुनौती
जेपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षाओं में पारदर्शिता लाना और समय पर रिजल्ट निकालना इस समय सबसे बड़ी चुनौती है, इसके लिए जेपीएससी में कमियों का दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.
सबसे बड़ी चुनौती वर्ष 2006 से अब तक फंसी हुई 2500 नियुक्तियों के लिए परीक्षा लेना और उसका रिजल्ट निकालना है. इससे भी बड़ी चुनौती आयोग की धूमिल छवि और कार्यशैली में सुधार लाना है.
राज्य सरकार नियुक्ति के लिए गंभीर
राज्य सरकार रिक्त पदों को भरने के लिए गंभीर है. अब उम्मीद है कि सारे रिक्त पदों को भरा जायेगा और नियुक्तियों का काम तेज हो जायेगा. इस बीच झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड सरकार और झारखंड लोक सेवा आयोग को आदेश दिया है कि शिक्षकों की नियुक्ति जल्द से जल्द की जाये.
राज्यपाल ने सभी विश्वविद्यालयों को भी कार्रवाई करने को कहा है, जिसके बाद जेपीएससी ने नियुक्तियों को लेकर कार्रवाई तेज कर दी है.
नियुक्तियां |
रिक्त पद |
असिस्टेंट टाउन प्लानर | 77 |
विश्वविद्यालय में अफसर | 05 |
मेडिकल ऑफिसर | 380 |
नगर विकास में सहायक अभियंता | 06 |
नगर विकास में एकाउंट्स ऑफिसर | 16 |
विभिन्न विभागों में सहायक अभियंता | 637 |
छठी डिप्टी कलक्टर सीमित | 28 |
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक व अधिकारी | 32 |
बीआइटी सिंदरी में प्रोफेसर | 05 |
बीआइटी सिंदरी में असिस्टेंट प्रोफेसर बैकलॉग | 15 |
पब्लिक हेल्थ ऑफिसर | 56 |
असिस्टेंट प्रोफेसर रेगुलर | 552 |
एपीपी | 143 |
संयुक्त सिविल सेवा बैकलॉग | 10 |
विश्वविद्यालयों में व्याख्याता की बहाली | 70 |
कृषि विभाग | 140 |
प्रथम सीमित डिप्टी कलेक्टर |
50 |
हमेशा से विवादों में रहा जेपीएससी, चल रही है सीबीआई जांच
जेपीएससी गठन के बाद से सिर्फ छह सिविल सेवा परीक्षा हो सकी है. फर्स्ट और सेकेंड सिविल सेवा परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगने पर पहले निगरानी ब्यूरो द्वारा जांच की गयी थी. बाद में इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है, जो अभी पूरी नहीं हो सकी है. जेपीएससी द्वारा आयोजित एक दर्जन से अधिक परीक्षाओं की सीबीआई जांच चल रही है.
जांच में ऐसी गड़बड़ियां आयीं सामने
पहली सिविल सेवा परीक्षा की निगरानी जांच में पाया गया कि राज्य प्रशासनिक सेवा की सभी 64 नियुक्तियां संदेह के दायरे में हैं. कई ऐसे लोग अधिकारी बन गये, जिनकी आंसरशीट की जांच ही नहीं की गई. कुछ आंसरशीट में मार्क्स तो थे, लेकिन उस पर परीक्षक का हस्ताक्षर नहीं थे. कुछ पर ओवर राइटिंग कर नंबर बढ़ाये गये. बाद में इन सभी आंसरशीट की जांच गुजरात के एफएसएल से करायी गयी.
-दूसरी सिविल सेवा परीक्षा की निगरानी जांच के 200 पन्नों की रिपोर्ट में 172 (चयनित) में से 165 लोगों की नियुक्ति पर गंभीर आरोप लगाये गए और इन सभी को बर्खास्त करने की अनुशंसा की गयी.
-तीसरी सिविल सेवा परीक्षा में भी अनियमितता बरती गयी. लेकिन इस परीक्षा को किसी भी तरह के जांच के दायरे में नहीं लाया गया.
-चौथी जेपीएससी परीक्षा भी विवादों में रही. प्रारम्भिक परीक्षा में अधिकांश वैकल्पिक विषयों के प्रश्न संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व परीक्षा से पूछे गए और आयोग के मॉडल उत्तर में भी कई खामियां रहीं. खुद आयोग के परीक्षा नियंत्रक ने प्रारम्भिक परीक्षा को रद्द करने की अनुशंसा की, लेकिन इसे नजरअंदाज कर परिणाम को प्रकाशित कर दिया गया. इस बात को लेकर कई अभ्यर्थी कोर्ट गये. सिविल सेवा परीक्षा के विज्ञापन में बिना किसी सूचना के पीटी एवं मुख्य परीक्षा में स्केलिंग की व्यवस्था लागू कर दी. आयोग द्वारा लागू स्केलिंग का फार्मूला भी काफी विवादित रहा, और कई अभ्यर्थियों ने कोर्ट की शरण ली.
-पांचवीं जेपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट के समय जेपीएससी ने आरक्षण के संबंध में बिना सरकार की अनुमति के बालाजी बनाम आंध्रप्रदेश तथा छत्तर सिंह बनाम राजस्थान मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को आधार बनाकर प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण को समाप्त कर दिया.
-छठी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा लगातार विवादित रही. इस कारण जेपीएससी को इसके परिणाम में तीन-तीन बार संशोधन करने पड़े. छठी जेपीएससी मुख्य परीक्षा का परिणाम 15 फरवरी को प्रकाशित किया गया. 28 जनवरी 2019 से मुख्य परीक्षा ली गई थी. इसके बाद 26 फरवरी 2020 को झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) ने सातवीं, आठवीं और नौवीं सिविल सेवा परीक्षा का विज्ञापन (01-2020) जारी किया गया था, जिसे तीन दिन बाद रद्द कर दिया गया था.