Ranchi : क्या झारखंड की सबसे विवादित संस्था झारखंड लोकसेवा आयोग (जेपीएससी) हठधर्मिता पर उतर आयी है. क्या वह जान-बूझकर हाईकोर्ट की अवमानना करना चाहती है और क्या उसे झारखंड के शिक्षित बेरोजगार युवाओं के भविष्य की सचमुच कोई परवाह नहीं है. ये सवाल आज हर उस युवा के मन में उठ रहा है, जो एक अदद सरकारी नौकरी की तलाश में पिछले कई साल से तैयारी करने के बावजूद कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने और निराशा के महासागर में गोते खाने को मजबूर है.
यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्योंकि जेपीएससी ने अब तक छठी जेपीएससी की नयी मेधा सूची को लेकर कुछ भी क्लीयर नहीं किया है. वहीं हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ अब अपील में जाने की संभावना भी लगभग खत्म हो गयी है. विगत 7 जून को हाईकोर्ट ने छठी जेपीएससी के तहत अनुशंसित 326 अभ्यर्थियों के पैनल को रद्द करते हुए 8 सप्ताह में नयी मेरिट लिस्ट निकालने का आदेश जेपीएससी को दिया था. 44 दिन का समय बीत चुका है, लेकिन अबतक जेपीएससी ने न तो नयी मेरिट लिस्ट निकाली है और न कोर्ट के फैसले के खिलाफ डबल बेंच में गयी है. आयोग पूरी तरह हाथ पर हाथ धरे बैठा है. अमिताभ चौधरी के अध्यक्ष बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि जेपीएससी की कार्यशैली में बदलाव आयेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
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न अभ्यर्थियों की चिंता, न हाईकोर्ट का डर
जेपीएससी के पास अब सिर्फ 12 दिन बचे हैं. न एलपीए में जाने की सुगबुगाहट है और ने मेरिट लिस्ट निकालने की. जेपीएससी इस मामले पर किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति में दिख रही है. ऐसा लग रहा है मानो आयोग को न तो अभ्यर्थियों के भविष्य की चिंता है और न हाईकोर्ट के आदेश की. दरअसल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उन अभ्यर्थियों ने भी हाईकोर्ट में अरजी दायर की है, जिन्हें अपनी नौकरी गंवाने का अंदेशा है. छठी जेपीएससी की मेधा सूची रद्द होने के बाद पैदा हुई विसंगतियों पर ये अभ्यर्थी जो तर्क दे रहे हैं, जेपीएससी का भी वही तर्क है. शायद यही वजह है कि जेपीएससी की ओर से डबल बेंच में जाने को लेकर अबतक बात नहीं बनी है.
छठी जेपीएससी- जानें क्या है पूरा मामला
7 जून को झारखंड हाईकोर्ट ने छठी जेपीएससी परीक्षा के 21 अप्रैल 2020 को जारी अंतिम परिणाम को नियमों का पालन न करने के चलते रद्द कर दिया था. 8 सप्ताह के भीतर नियमों का पालन करते हुए नये परिणाम जारी करने के आदेश दिये हैं. गौरतलब है कि जेपीएससी ने राज्य के 326 प्रशासकीय पदों के लिए 2016 में विज्ञापन जारी किये थे और इसके लिए प्रारंभिक परीक्षा 18 दिसंबर 2016 को ली गयी थी. जेपीएससी ने इन पदों के लिए मुख्य परीक्षा 28 जनवरी 2019 से एक फरवरी 2019 तक आयोजित की. मुख्य परीक्षा के परिणाम 15 फरवरी 2020 को जारी किये गये. इसके बाद उसी वर्ष 24 फरवरी से परीक्षार्थियों के साक्षात्कार लिये गये और परीक्षाओं के अंतिम परिणाम 21 अप्रैल 2020 को जारी कर दिये गये.
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विषयवार पास होना था लेकिन फेल छात्रों का भी चयन हुआ
इस परिणाम के आधार पर आयोग ने 29 मई 2020 को परीक्षार्थियों की नियुक्ति की भी अनुशंसा कर दी थी, लेकिन आयोग पर आरोप लगे कि उसने मुख्य परीक्षा के अंकों का योग करते हुए हिंदी/अंग्रेजी भाषा के लिए मुख्य परीक्षा में ली जाने वाली अर्हता परीक्षा के अंक भी जोड़ दिये जो नियमों का उल्लंघन था, क्योंकि विज्ञापन में ही साफ तौर पर लिखा गया था कि हिंदी/अंग्रेजी भाषा की परीक्षा सिर्फ अर्हता परीक्षा होगी जिसमें न्यूनतम अंक पाने पर ही उम्मीदवारों के मुख्य परीक्षा की मेरिट लिस्ट में स्थान दिया जाएगा. इसके अलावा अभ्यर्थियों को हर विषय में न्यूनतम प्राप्तांक लाने थे लेकिन एक विषय में फेल छात्रों को भी योग्य घोषित कर दिया गया.