Jamshedpur : कोरोना संक्रमण काल में काम धंधे के साथ-साथ सरकार का कारोबार भी प्रभावित हुआ. इसके चलते जहां राजस्व घटा, वहीं खर्च भी बढ़ा. इसका जीता-जागता उदाहरण केन्दू (बीड़ी) पत्ते की नीलामी है. इसमें सरकार को आय से ज्यादा मजदूरी मद में खर्च करना पड़ा. वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोल्हान प्रमंडल में उपजे केंदू (बीड़ी) पत्ते की नीलामी से चार करोड़ 76 लाख रुपए की आय लघु वन पदार्थ परियोजना (एमएफपीपी) के धालभूम प्रमंडल को हुई थी. लेकिन उक्त पत्ता को तोड़वाने, संग्रह करने और डिपो में पहुंचाने का खर्च नीलामी राशि से ज्यादा हो गई. इसकी जानकारी एमएफपीपी के डिवीजन मैनेजर (डीएम) मौन प्रकाश ने दी. उन्होंने बताया कि एमएफपीपी के धालभूम डिवीजन में छह रेंज और 46 लॉट हैं. इनमें से मात्र 27 लॉट में ही बीते वर्ष केंदू पत्ते की नीलामी हुई थी. इस बार मौसम अनुकूल है. कोरोना का असर भी काफी कम हो गया है. इसलिए प्राकृतिक ढंग से कोल्हान के जंगलों में उपजने वाले केंदू पत्ते की भरपूर फसल मिलने की संभावना है. इससे इस काम में लगे ग्रामीण मजदूरों को काफी फायदा होगा. अगले माह इसकी बिक्री की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
आय से ज्यादा लोगों के रोजगार पर है फोकस
डीएम ने बताया कि केंदू पत्तों की बिक्री से जो भी आय होती है, वह मजदूरों को दे दी जाती है. एमएफपीपी सिर्फ रोजगार उपलब्ध कराने और इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों और मजदूरों के बीच माध्यम भर है. उन्होंने बताया कि इस कार्य में गावों में प्राथमिक संग्राहक समिति नामक संगठन की मदद ली जाती है. मौन प्रकाश ने बताया कि मजदूर पत्ता तोड़कर सुखाने के बाद 50-50 का बंडल बनाते हैं. ऐसे 100 बंडल को एक बोरा में भरा जाता है. इस प्रकार एक बोरे में 50 हजार पत्तियां रहतीं हैं. पिछले साल एक बोरा पत्ता के लिए मजदूरों को 1250 रुपए का भुगतान किया गया था. एमएफपीपी के कोल्हान जोन में छह रेंज हैं. इनमें आनंदपुर, गोईलकेरा, चक्रधरपुर, चाईबासा, चाकुलिया ओर मानगो शामिल हैं. मानगो रेंज में कुछ स्थानीय क्षेत्र बाकी पूरा सरायकेला-खरसावां जिला आता है. इनके अपने-अपने डिपो बने हुए हैं, जिनमें केंदु पत्तों को रखा जाता है. व्यापारी आते हैं और बोली लगाकर केंदू पत्ता ले जाते हैं.