NewDelhi : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राजनीति के लिए अपने संवैधानिक पद का इस्तेमाल करने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह किसी संगठन से जुड़े व्यक्ति की नियुक्ति के सबूत मिलने पर इस्तीफा देने तक को तैयार हैं, जिन्हें राज्य सरकार राजनीतिक रूप से परेशानी खड़ा करने वाला मानती है. बता दें कि राज्य में उनके और सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के बीच काफी समय से गतिरोध जारी है. दोनों के बीच टकराव का सबसे बड़ा मुद्दा विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति से जुड़ा है.
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राजनीतिकरण कहां हो रहा है?
राज्यपाल ने कहा कि उनका काम यह देखना है कि सरकार कानून के तहत काम करे. खान ने भाषा को दिये एक साक्षात्कार में अपने पद का इस्तेमाल राजनीति के लिए करने के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, राजनीतिकरण कहां हो रहा है? मैं पिछले तीन साल से यह कह रहा हूं, आप कह रहे हैं कि मैं आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का एजेंडा लागू कर रहा हूं. मुझे एक नाम बतायें, सिर्फ एक उदाहरण दें, जहां मैंने उन संगठनों से संबंधित किसी को भी नियुक्त किया हो, जिसे आप लोग राजनीतिक रूप से परेशानी खड़े करने वाला बताते हैं…जैसे आरएसएस, भाजपा….एक नाम दें जिसकी नियुक्ति मेरे नाम पर की गयी हो… मैं इस्तीफा दे दूंगा.
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गैर भाजपा शासित राज्यों में राज्यपाल को सरकारों के विरुद्ध खड़ा किया जा रहा है
उन्होंने कहा कि अगर कोई ऐसा करे तो यह पद का राजनीतिक इस्तेमाल हो सकता है. मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है और ना ही मुझ पर ऐसा कुछ करने का दबाव है. जान लें कि वाम दलों ने मंगलवार को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में राजभवन तक विरोध मार्च निकाला था. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया था कि शिक्षा एवं युवाओं की चेतना पर नियंत्रण कायम कर भारत को फासीवादी हिंदुत्व राष्ट्र के रूप में तब्दील करने के भाजपा-आरएसएस के एजेंडे को लागू करने के लिए विश्वविद्यालयों से जुड़े मामलों में गैर भाजपा शासित राज्यों में राज्यपाल को सरकारों के विरुद्ध खड़ा किया जा रहा है.