Washington : सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोज्जी का मर्डर केस फिर चर्चा में है. इस केस में घिरे सऊदी अरब के अमेरिकी दौरे पर बवाल मचा हुआ है. बाइडन प्रशासन ने फैसला किया है कि क्राउन प्रिंस अमेरिका आयेंगे तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया का सामना नहीं करना होगा. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) को रियायत देने के फैसले का बचाव करते हुए अमेरिका ने उनके दौरे की तुलना भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है.
व्हाइट हाउस ने ने सफाई दी है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब किसी नेता को इस तरह की रियायत दी गयी है. इससे पहले नरेंद्र मोदी को भी इस तरह की छूट दी जा चुकी है. जो बाइडन प्रशासन ने खशोज्जी की मंगेतर की अपील के जवाब में यह दलील दी, जिसमें अमेरिका में MBS को रियायत देने पर सवाल खड़े किये गये थे.
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नरेंद्र मोदी को भी अमेरिका में रियायत मिली थी
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने शुक्रवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अमेरिका की तरफ से उसी तरह की रियायत मिली थी जो हाल ही में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को दी गयी है.
उन्होंने पत्रकारों के समक्ष कहा, यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने ऐसा किया है. ऐसा काफी समय से हो रहा है. इससे पहले कई देशों के प्रमुखों को इस तरह की छूट दी जा चुकी है.
कई राष्ट्राध्यक्षों को ऐसी छूट दी जा चुकी है.
पीएम मोदी की बात करें तो अमेरिका ने 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री चुने जाने तक अमेरिका आने पर प्रतिबंध जारी रखा था. लेकिन पीएम बनने पर अमेरिका मोदी का जोरदार स्वागत किया था. व्हाइट हाउस के अनुसार सऊदी क्राउन प्रिंस को हाल ही में प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है. इसे देखते हुए उन पर अमेरिका में मुकदमा न चलाने और अमेरिका की यात्रा करने पर छूट प्रदान की गयी है. बता दें कि इससे पहले कई राष्ट्राध्यक्षों को ऐसी छूट दी जा चुकी है.
अमेरिका ने कई देशों के प्रमुखों के नाम गिनाये
वेदांत पटेल ने नरेंद्र मोदी समेत कई देशों के प्रधानमंत्रियों के नाम गिनाये. कहा कि 1993 में हैती के राष्ट्रपति जिएन एरिस्टाइड, 2001 में जिम्बॉब्वे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे, 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2018 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के राष्ट्रपति लॉरेंट कबीला को भी अमेरिका की तरफ से इस तरह की छूट दी गई थी
मोदी का नाम लेने पर आलोचना की जा रही है
एक बात और कि अमेरिकी सरकार का एमबीएस का बचाव करने के लिए मोदी का नाम लेने पर आलोचना की जा रही है. . हालांकि भारत की इस मामले पर अभी कोई टिप्पणी सामने नहीं आयी है. प्रेस ब्रीफिंग में यह पूछे जाने पर कि जिन नेताओं को अमेरिका ने रियायत दी थी, उनमें किसी पर एक पत्रकार और वो भी एक अमेरिकी नागरिक की हत्या का आरोप नहीं था, इस पर पटेल ने सफाई दी कि MBS पर हमारी सरकार ने अपना रुख केस की स्थिति के हिसाब से नहीं, बल्कि अमेरिका के कानून के आधार पर तय किया है.