Arvind Singh
Khunti: झारखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार खूंटी का लतरातू डैम न सिर्फ सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है, बल्कि हजारों लोगों के लिए जीवनदायिनी भी है. लतरातू डैम से निकलने वाली दोनों नहरें उस क्षेत्र में स्थित दर्जनों गांवों के लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. 41 किलोमीटर लंबी इस नहर से लगभग 13000 एकड़ खेत की सिंचाई होती है. बायीं और दायीं दोनों मुख्य नहरों से लघु नहर डिस्ट्रब्यूट्री और आउटलेट द्वारा पानी खेतों तक सिंचाई के लिए पहुंचाया जाता है. यहां के किसान नहर से मिलने वाले पानी से साल में दो बार धान की खेती करते हैं. इसके साथ ही भिंडी, लौकी, तरबूज, टमाटर, झींगा सहित अन्य सब्जियों की खेती भी किसान बड़ी मात्रा में करते हैं. लतरातू, ब्लान्दु, सरसा, नवाटोली, दरन्दा, देवगांव, डुरू, तिगरा, ककरिया,चम्पाडीह, अकोरोमा, कारूम, पोकटा, कांदरकेल, तस्की, डुमरगड़ी, मानपुर, सिलमा, बिरदा, गुनगुनिया, बुढ़ीरोमा, झपरा, कातारटोली, सरदुल्ला, कसिरा, बमरजा, सरसा, दोदगो, कुंबाटोली सहित दर्जनों गांवों के हजारों किसान लतरातू डैम के पानी से सालों पर खेती करते हैं.
साल में दो बार होती है धान की खेती
जिन क्षेत्रों से लतरातू डैम की नहर गुजरती है, वहां इन दिनों धन की रोपनी का काम जोरों पर है. इन गांवों के किसान अहले सुबह उठकर हल—बैल के साथ खेत पहुंच जाते हैं. पुरुष खेतों की जुताई-कोड़ाई कर खेत तैयार करते हैं, तो महिलाएं सुबह उठकर खाना बनाने के बाद पूरे परिवार के लिए खाना लेकर खेत पहुंच जाती हैं. वे बिचडा़ उखाड़ने के बाद रोपनी का काम करती हैं. दिन भर काम करने के बाद शाम ढलने पर ही वे घर लौटती हैं. किसान बताते हैं कि गरमा धान की खेती से उपज और मुनाफा दोनों ही अधिक है. गरमा धान से वे साल भर गुजारा कर लेते हैं. उनका कहना है कि गरमी के दिनों में खेती होने के कारण फसलों में बीमारी नहीं के बराबर होती है. बरसात के दिनों में धान की खेती करने से बीमारियों का खतरा अधिक होता है. कई तरह की कीटनाशक दवाओं और रासायनिक खाद का प्रयोग करना पड़ता है. इसमें लागत भी अधिक आती है. साथ ही रासायनिक खाद के प्रयोग का असर हमारे शरीर पर भी पड़ता है. किसानों के अनुसार लतरातू डैम सही मायने में उनके लिए वरदान है. नहर होने के कारण उन्हें सिंचाई की सुविधा मिल जाती है. पहले सिंचाई के अभाव में वे खेती नहीं हो कर पाते थे. इस कारण भूखों मरने की नौबत आ जाती थी. लतरातू नहर के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति के साथ ही उनकी किस्मत भी बदल रही है.
बोटिंग के लिए दूर-दूर से आते हैं सैलानी
हाल के दिनों में लतरातू डैम खूंटी जिले के एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है. खूंटी जिला प्रशासन लतरातू जलाशय को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए लगातार काम कर रहा है. यहां बोटिंग करने के लिए दूर—दूर से सैलानी अपने परिवार और मित्रों के साथ आते हैं. फिलहाल जिला प्रशासन ने डैम में पांच मोटर बोट और पांच पैडल बोट उपलब्ध करायी है. बोट चलाने के लिए गांव के लोगों को ही जिला प्रशासन द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है. डैम के आसपास पर्यटन भवन, पार्क आदि को विकसित करने का काम किया जा रहा है. लतरातू जलाशय के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने से उस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर मिल रहे हैं. वैसे तो लतरातू डैम में सालों भर पर्यटकों का आवागमन होता रहता है, पर नवंबर से मार्च तक हर दिन हजारों सैलानी पिकनिक मनाने और बोटिंग का आनंद लेने पहुंचते हैं. अधिक लोगों के लतरातू पहंचने से स्शानीय लोगों को व्यवसाय का अवसर भी मिल रहा है. इससे उनके जीवन स्तर में लगातार सुधार हो रहा है. हालांकि इस साल अभी तक वर्षा की जो स्थिति है, अगर यही हाल रहा तो सारे संसाधनों पर असर पड़ेगा. सबसे ज्यादा किसानों को खेती के लिए पानी के लिए तरसना होगा. सैलानियों पर भी असर पड़ेगा.
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