Sanjeet Yadav
Palamu : हम अपने समाज को भले ही शिक्षित मान रहे हैं, लेकिन इसमें अभी भी अंधविश्वास हर कदम पर है. इसका सबसे बुरा उदाहरण डायन प्रथा माना जाता है. डायन प्रथा हमारे समाज के लिए एक अभिशाप की तरह है. लेकिन पलामू के हैदरनगर में इस कुप्रथा को बढ़ावा देने के लिए साल में एक बार भूत मेला लगता है. इसका आयोजन रात में ही होता है. आज भी हमारे आसपास के कई लोग कुछ घटित होने पर डॉक्टरों के पास ना जाकर पहले ओझा-गुणी और बाबा पास जाते हैं. यही कारण है कि अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर कई लोगों की हत्या कर देते हैं. और तो और किसी महिला के साथ छेड़खानी हो या जमीन लूट, सभी में डायन बताकर किसी असहाय महिला को दोषी करार देकर उसे सामूहिक तौर पर सजा देते हैं या प्रताड़ित करते हैं. कई मामलों में तो महिला की हत्या तक कर दी जाती है. बात करें तो बीते 7 सालों में 250 से 300 से ऊपर के मामले सामने आए हैं. इसमें 8 लोगों की हत्या कर दी गई. 2021-22 में हत्या तो नहीं हुई, लेकिन मामले 116 मामले सामने आए. उल्लेखनीय बात यह है कि केवल ग्रामीण इलाकों से ही ऐसे मामले सामने आते हैं. गांव में जगह-जगह पर ऐसी कथित डायनों को पहचानने वाले ओझा भी भारी तादाद में हैं. वही लोग इन कथित डायनों की पहचान कर गांव के लोगों को बताते हैं. उसके बाद गांव वाले डायनों की करतूत के हिसाब से उनकी सजा तय कर देते हैं. नुकसान ज्यादा हुआ तो यह सजा मौत में बदल जाती है.
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कानून का कड़ाई से पालन किया जा रहा है : एसपी
पलामू के एसपी चंदन सिन्हा बताते हैं कि डायन का प्रसिद्ध अधिनियम है ,जो उसका बड़ा कड़ाई से पालन किया जा रहा है. पुलिस ने लगातार जागरुकता बढ़ाई है. जो भी इस तरह की घटनाएं होती हैं, उसपर पुलिस कार्रवाई कर रही है. 2021 और 22 में डायन को लेकर हत्या की घटनाएं नहीं घटी हैं. हत्या की घटनाएं शून्य हो गई हैं. लोग जागरूक हो रहे हैं, लेकिन और भी जागरुकता बढ़ानी है. जब तक समाज जागरूक नहीं होता है, तब तक इस पर लगाम लगाना कठिन है.
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डायन प्रथा के हैं कई कारण
पलामू के वकील रुचिर तिवारी बताते हैं कि इस डायन प्रथा के प्रचलन का कई कारण हैं. अशिक्षा, अंधविश्वास, संपत्ति हड़पना. कई बार विधवा और असहाय महिलाओं की संपत्ति को हड़पने के लिए भी किसी महिला को डायन बताकर हत्या की जाती है. उन्होंने बताया है कि कोई भी व्यक्ति अगर किसी को डायन घोषित करते हैं, उन पर कई सख्त कानून बने हुए हैं. अगर कोई भी व्यक्ति किसी को डायन घोषित करता है तो उसे 3 साल या आजीवन कारावास की सजा या ₹5 लाख का जुर्माना या दोनों होता है. हिंदुस्तान में ज्यादातर जो महिलाएं विधवा हो जाती हैं या महिलाओं को डायन कहकर अपमानित किया जाता है और कई बार उनकी हत्या भी कर दी जाती है. ऐसी परिस्थिति में आईपीसी के तहत अपराधियों के लिए बहुत ही सख्त कानून बनाया गया है. मानसिक तौर पे प्रताड़ित करता कोई व्यक्ति अगर किसी डायन घोषित की गई स्त्री का इलाज टोना-टोटका, झाड़-फूंक या शारीरिक यातना के माध्यम से करता है, उसके लिए 3 साल की सजा और ₹5 लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान है. आए दिन हो यह देखने को मिलता है कि लोगों के घर में कुछ बीमारी हो गई या घर के मवेशी बीमार पड़ गए तो अगल-बगल की महिलाओं को डायन कहने लगते हैं. यह बहुत ही गलत बात है. कानून इसके संबंध में बिल्कुल सख्त है. ऐसे लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि समाज में महिलाएं सुरक्षित होकर रह सके.