Kiriburu/Manoharpur (Shailesh Singh/Ajay Singh) : कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग को लेकर 20 सितम्बर को घाघरा स्टेशन पर रेल चक्का जाम के दौरान पुलिस व आंदोलनकारियों के बीच झड़प हो गई. इसमें किरीबुरू के एसडीपीओ सह मनोहरपुर के प्रभारी एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर, बीडीओ हरि उरांव, आरपीएफ एवं पुलिस के कई जवानों के साथ-साथ कई आंदोलनकारी भी घायल हुए हैं. घायल एसडीपीओ, बीडीओ व अन्य जवानों का मनोहरपुर सीएचसी में प्राथमिक उपचार किया गया. जानकारी के अनुसार बुधवार की रात हजारों आंदोलनकारी आदिवासी कुड़मी समाज के जिला उपाध्यक्ष रत्नाकर महतो के नेतृत्व में घाघरा रेलवे स्टेशन के समीप अप एवं डाउन रेल लाइन पर बैठकर रेलवे परिचालन को ठप किये हुए थे. रात्रि लगभग 9 बजे के बाद जब पुलिस-प्रशासन व आरपीएफ आंदोलनकारियों को रेलवे ट्रैक से हटाने की कोशिश करने लगे तभी उनकी आंदोलनकारियों के साथ झड़प हो गई. इस दौरान आंदोलनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसमें एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर, बीडीओ हरि उरांव व अन्य जवान घायल हो गए. बाद में पुलिस को भी लाठीचार्ज करना पड़ा.
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पुलिस ने बल प्रयोग कर आंदोलनकारियों को हटाया

हालांकि बॉडी प्रोटेक्टर के जरिये कई जवान पत्थरों से अपने आप को बचाने में सफल रहे. घायल एसडीपीओ को मनोहरपुर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद छोड़ दिया गया. बीडीओ हरि उरांव के हाथ में फ्रैक्चर होने की खबर है. कुछ आंदोलनकारियों को भी चोटें आयी हैं. बताया जा रहा है कि एक आंदोलनकारी का सिर भी फटा है. यह आंदोलनकारियों द्वारा फेंके गए पत्थर या पुलिस की लाठी से फटा है, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. पुलिस ने रात में ही आंदोलनकारियों को घाघरा स्टेशन से खदेड़ दिया है.
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रात में आंसू गैस के गोले भी छोड़े
इधर रात में ही घाघरा हॉल्ट में डटे प्रदर्शनकारियों द्वारा पत्थरबाजी करने के बाद उन्हें वहां से हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. आंसू गैस के गोले दागे जाने के बाद आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक खाली कर दूसरी ओर चले गए. इस दौरान मनोहरपुर बीडीओ, एसडीपीओ समेत दर्जन भर जवान घायल हो गए थे. वहीं रात होने के कारण आंदोलन कर रहे लोगों में कितने लोगों को चोटें आईं हैं, इसकी पुख्ता जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है. पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में भी लिया है. समाचार लिखे जाने तक आधिकारिक रूप से इसकी भी जानकारी नहीं दी गई है. फिलहाल स्थिति सामान्य है. आंदोलनकारियों को खदेड़ने के बाद आधी रात से ट्रेनों का परिचालन सामान्य हो गया है. आंदोलनकारियों के रेलवे ट्रैक पर बैठने की वजह से कई ट्रेनों का रूट डायवर्ट कर दिया गया था तो कई ट्रेनों को विलंब से चलाया गया.