Kiriburu (Shailesh Singh) : शनिवार की शाम से लेकर देर रात तक हुई बारिश के बाद रविवार की सुबह का मौसम काफी सुहाना हो गया है. सेल की किरीबुरु खदान की पहाड़ियों से सारंडा की हरी-भरी वादीयों को अपनी आगोश में समेटते बादलों की खूबसूरत नजारें को लोग अपने मोबाईल और आखों में निरंतर कैद करते रहे. भारी वर्षा के बाद किरीबुरु का मौसम काफी सुहाना व ठंडा हो गया है.
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चारों तरफ बर्फ की चादर बिछे होने जैसा अहसास
उल्लेखनीय है कि पर्यटन के सारे संसाधन मौजूद रहने के बावजूद अब तक सारंडा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पाया है. 700 पहाड़ियों की घाटी के नाम से प्रसिद्ध एशिया का सबसे बड़ा साल व हजारों प्रजातियों के पेड़-पौधों से भरे इस जंगल को जब बादल अपनी आगोश में भरता है तो मानों चारों तरफ बर्फ की चादरें बिछने जैसा नजारा होता है. सारंडा में ऐसे कई अनोखे स्थान हैं जहां की खूबसूरती बस देखते ही बनती है. पर्यटन की दृष्टि से यह स्थान काफी समृद्ध है. ऐसे में अगर आप खूबसूरत झरनों, पहाड़ों और घने जंगलों में घूमने के शौकीन हैं तो सारंडा के जंगल आपके लिए उपयुक्त जगह है. प्रकृति के अद्भूत नजारों से भरपूर 700 पहाड़ियों एवं घने जंगलों का यह विहंगम दृश्य रोमांच से भरा है.सरकार व समाज इस खूबसूरती को बचाने की हरसंभव कोशिश करे और सारंडा को पर्यटन स्थल का ताज पहनाये
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हरियाली और खूबसूरती का बेजोड़ मेल देखने को मिलता है
सारंडा का शाब्दिक अर्थ सात सौ पहाड़ियां हैं. झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित सारंडा लगभग 820 वर्ग किलोमीटर में फैला सघन वन है. जंगल में हरियाली और खूबसूरती का बेजोड़ मेल देखने को मिलता है. ऊंचे, छांवदार, फलदार अनगिनत पेड़ों का वर्चस्व यहां कुछ ऐसा था कि सूरज की किरणें भी धरती पर नहीं पहुंच पा रही है. वहीं पलाश एवं गुलमोहर के सुर्ख लाल फूल यहां की धरती को छूते हैं तो लगता है किसी ने लाल कालीन बिछा दी हो. इन सबके अलावे बारिश के मौसम में सारंडा का नजारा अलग हो जाता है.
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