- वन विभाग के पदाधिकारी मौन, हाथियों का रूट डायवर्ट
- हाथी गांवों में जाकर घर और फसलों का पहुंचा रहे नुकसान
Kiriburu (Shailesh Singh) : दुबिल खदान में खनन व माल ढुलाई का कार्य कर रही बड़ी ठेका कंपनी एनएसआईपीएल ने सारंडा जंगल में जंगल राज कायम कर दी है. इस ठेका कंपनी को वन विभाग का थोड़ा भी भय नहीं है अथवा वन विभाग मूक दर्शक बन सब कुछ देख रहा है. एनएसआईपीएल सारंडा जंगल स्थित विभिन्न पहाड़ियों को फ्लैट (सीधा) काटकर हाथियों के कॉरिडोर को विभिन्न स्थानों पर खंडित कर दिया है और कर रही है. इससे हाथियों व अन्य वन्यप्राणियों का अस्तित्व खतरे में है तथा पेड़-पौधे को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. हाथियों का कॉरिडोर को निरंतर अवैध व नियम विरुद्ध खंडित किये जाने से हाथियों का रूट डायवर्ट हो रहा है, जिससे हाथी गांवों की तरफ जा रहे हैं और वहां नुकसान पहुंचा रहे हैं. इससे हाथियों व मानव के बीच द्वन्द की हमेशा स्थिति उत्पन्न हो रही है.
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उल्लेखनीय है कि एनएसआईपीएल दुबिल खदान से लौह अयस्क का परिवहन सारंडा जंगल के रास्ते मनोहरपुर रेलवे साइडिंग तक कर रही है. लौह अयस्क का परिवहन के दौरान सारंडा जंगल के रास्ते में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो, इसलिए फॉरेस्ट रोड अथवा अयस्क ढुलाई मार्ग की सड़क किनारे की पहाड़ी को वन विभाग की बिना अनुमति लिए सीधा फ्लैट में काट दिया गया है. इस वजह से जंगल/पहाड़ों से इस फॉरेस्ट रोड पर उतरने वाले हाथी व अन्य वन्य प्राणी गिरने के भय से उतर नहीं पा रहे हैं. इससे उनका एक विशेष कॉरिडोर खत्म हो गया है. इन्हीं कारणों से हाथी अब गांवों की तरफ जाकर ग्रामीणों का घर तोड़ने व उनपर हमला कर रहे हैं. अगर वन विभाग कंपनी के खिलाफ कडे़ कदम नहीं उठाती है तो उनपर भी बड़ा सवाल उठनने लगेगा.
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हाल में भारतीय वन्यजीव संस्थान ने देशभर में हाथियों की गतिविधियों के आधार पर मुआयना करने के बाद एलिफेंट कॉरिडोर्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी है. झारखंड के भीतर और दूसरों राज्यों से जुड़े 17 एलिफेंट कॉरिडोर मान्य किए गए हैं. अब ये गलियारे जहां-जहां खंडित हैं, उसे चिह्नित कर अक्षुण्ण किया जाएगा. हालांकि जानकारों के अनुसार यह रिपोर्ट अभी भी गलत है, क्योंकि कई कॉरिडोर को खनन व अन्य कंपनियों को लाभ पहुंचाने हेतु रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है.
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अंतरराज्यीय हाथी कॉरिडोर कारो-करमपदा का निरीक्षण सेवानिवृत्त आरसीसीएफ डॉ अरुण कुमार मिश्रा एवं एवरग्रीन फाउंडेशन के अलावे सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी अभिरुप सिन्हा, संलग्न पदाधिकारी नितिश कुमार के नेतृत्व में 6 और 7 अगस्त को किया गया था. सारंडा जंगल स्थित हाथियों का कारो-करमपदा कॉरिडोर की पहचान की गयी है. हाथियों के कॉरिडोर में उनके विचरण आदि के कई साक्ष्य पाये गये थे. कारो-करमपदा कॉरिडोर का इस्तेमाल लगभग 40 हाथियों का समूह समय-समय पर करता रहा है. इसके अलावे सारंडा स्थित अंकुआ-अंबिया व अन्य कौरिडोर है जहां सालों भर हाथियों की गतिविधियां जारी रहती है. अंकुआ-अंबिया कॉरिडोर में 18-20 हाथियों का समूह घूमता है.
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