Kiriburu (Shailesh Singh) : हाथियों को भगाने के लिये 47 लाख रुपये की लागत से सारंडा जंगल के विभिन्न गांव क्षेत्रों में लगाया गया एनाइडर्स मशीन सफेद हाथी साबित हो रहा है. प्रारम्भ में एक-दो माह काम करने के बाद से अब यह मशीन बिल्कुल काम करना बंद कर दिया है. करमपदा गांव में लगा दो एनाइडर्स मशीन के बाबत मुंडा राजेश व अन्य ने बताया की यह मशीन लगने के एक माह बाद हीं खराब हो चुका है जिसे आज तक ठीक नहीं किया जा सका है. यह हाथी को क्या रोकेगा, बल्कि इसके लगने के बाद हाथी का हमला व गांवों में आना और बढ़ा है. उल्लेखनीय है कि इंसान और हाथियों का टकराव रोकने के लिए सारंडा वन प्रमंडल में पायलट प्रोजेक्ट के तहत नयी तकनीक का इस्तेमाल कर दो वर्ष पूर्व एनाइडर्स मशीन लगाया गया था.
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हाथियों का झुंड पहुंचते ही बजेगा एनाइडर्स में लगा जंबो हूटर
इस नयी तकनीक से सारंडा जंगल में हाथी व मानव द्वंद को रोकने एवं हाथियों द्वारा पहुंचाए जाने वाली क्षति पर बहुत हद तक रोक लगाने की बात कही गई थी. हाथियों का झुंड अगर जंगल से गांव की ओर प्रस्थान कर भी गया तो एनाइडर्स में लगा जंबो हूटर बज जाएगा. इससे गांव के लोग अलर्ट हो जाएंगे. इसके अलावा इंफ्रारेड से जुड़े खास इंस्ट्रूमेंट हाथी प्रभावित इलाके में लगाए जा रहे हैं जो हाथियों को गांव में जाने से रोकेगा. हाथी प्रभावित इलाका सारंडा वन प्रमंडल के जंगल में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल टीएसएलपीएल के सहयोग से किया गया था. इस तकनीक के इस्तेमाल में पहले फेज में 47 लाख रुपए खर्च हुए थे. पहले फेज में गुवा वन प्रक्षेत्र के नुइया गांव में 6 पैसिव एनाइडर्स और ससंगदा वन प्रक्षेत्र के करमपदा में 2 एक्टिव एनाइडर्स लगाए गए हैं. हाथियों के कॉरिडोर क्षेत्र में ऐसे लगभग 250 मशीन लगाए जाने की बात कही गई थी.
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जानवर व इंसान में फर्क बखूबी समझता है यह मशीन
एनाइडर्स को लेकर वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इन इंडिया ने एक रिसर्च भी किया है जिसमें नतीजा यह आया कि यह मशीन 86 फीसदी सफलतापूर्वक काम करती है और अब तक जहां भी लगाया गया है वहां किसानों की उपज में 60 फीसदी तक वृद्धि भी हुई है. एनाइडर्स यानी एनिमल इंटर्सन डिटेक्शन रिपेलेंट सिस्टम. यह एक मशीन है जो जानवर व इंसान में फर्क बखूबी समझता है और यह मशीन पूरी तरह से सोलर पावर से चलता है. मशीन के रेंज में जानवरों के आते ही मशीन अपने आप एक्टिव हो जाएगी और जानवरों के खेत व ग्रामीण क्षेत्रों के नजदीक आते ही सेंसर अलार्म चालू हो जाता है. साथ ही उसमें लगे इंफ्रारेड किरण हाथियों को डराना शुरू कर देते हैं और उसमें लगे एक्टिव और पैसिव सेंसर जानवरों और मानव में बखूबी फर्क पकड़ लेता है. वहीं उसमें लगे जीएसएम नेटवर्क तुरंत वन विभाग को भी अलर्ट कर देता है. एनाइडर्स में लगे कैमरा हाथियों की एक्टिविटी को रिकॉर्ड करता है जो वन विभाग को हाथियों की गणना में मदद करता है.