Shailesh Singh
Kiriburu : धर्म, जाति, भाषा को लेकर समाज में नफरत की तपिश पर ठंडी फुहार की तरह है यह खबर और तस्वीर. रामनवमी की ध्वजा बांधते हुए जिस युवक की तस्वीर है उस युवक का नाम नसीम है. वह किरीबुरु का फल कारोबारी है. नसीम की मीना बाजार व बैंक मोड़ में फल की दुकान है. नसीम इस शहर का सिर्फ एक नाम नहीं है जो हिंदू-मुस्लिम के बीच के आपसी भाईचारे को मजबूत कर रहा है. बल्कि अबरार अहमद, इकबाल अहमद, रिंकू, रब्बे आलम, अफताब आलम, इंतखाब आलम, ताज मोहम्मद, अफताब आलम उर्फ लाल, हमीद आदि ऐसे अनेक नाम हैं जो हिंदुओं के तमाम पर्व-त्योहारों के लिए बनने वाली कमिटी में न सिर्फ पदाधिकारी रहते हैं बल्कि सक्रिय भूमिका निभाते हुए पर्व को शंतिपूर्ण संपन्न कराने में अहम भूमिका निभाते आ रहे हैं.

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आपसी भाईचारे के लिये जाना जाता है किरीबुरु-मेघाहातुबुरु शहर
नसीम भी रामनवमी धूमधाम से संपन्न हो इसके लिये ध्वजा को हिंदुओं के साथ मिलकर बांधते नजर आ रहे हैं. किरीबुरु-मेघाहातुबुरु शहर पहले से ही आपसी भाईचारे के लिये जाना जाता रहा है. यहां कभी भी भाषा, जाति, क्षेत्रवाद आदि का कभी विवाद नहीं रहा. समय-समय पर कुछ समाज विरोधी बाहरी ताकतें यहां के बेहतर माहौल को खराब करने का प्रयास करती रही हैं. लेकिन यहां के लोग आपसी एकता की वजह से ऐसे लोगों व ताकतों को तरजीह नहीं देकर उन्हें जीरो करने का काम करते रहे हैं.
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