Kiriburu : टीएसएलपीएल कंपनी प्रबंधन और उक्त खदान से प्रभावित गांवों के ग्रामीणों के बीच पिछले दिनों किरीबुरु एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर की अध्यक्षता में मानकी-मुंडाओं और खदान प्रबंधन के बीच हुई समझौता वार्ता पर सुशील बारला ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाया है. इसका जवाब देते हुए सारंडा पीढ़ के मानकी लागुडा़ देवगम और जोजोगुटू के मुंडा कानूराम देवगम ने लगातार न्यूज को बताया कि सुशील बारला जैसे लोग किसी कंपनी से बंद कमरे में बात कर डील करते होंगे अथवा डील जैसी बात करते हैं. हमने कभी बंद कमरे में बात नहीं की. बल्कि पिछले दिनों एसडीपीओ की अध्यक्षता में कंपनी प्रबंधन से जो भी बातें हुईं वह खुली और सार्वजनिक थी जिसमें प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को रोजगार देने को लेकर बातें हुई थीं एवं कंपनी प्रबंधन ने भी रोजगार देने का भरोसा दिया है. कंपनी प्रबंधन से कोई समझौता नहीं हुआ है बल्कि विश्वास बडी़ चीज होती है, वह भी तब जब एसडीपीओ जैसे पदाधिकारी वार्ता की अध्यक्षता कर रहे हों.
सुशील बारला रोजगार विरोधी, हम चाहते हैं कि सारंडा में उद्योग लगे
मानकी लागुडा़ देवगम ने सुशील बारला पर को रोजगार विरोधी बताया है. यही वजह है कि पिछले दिनों सारंडा क्षेत्र में कुछ कंपनियां प्लांट लगाने के लिये आयी थीं लेकिन उन्होंने आंदोलन छेड़ा की जान देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे. लेकिन हमारी नीति ऐसी नहीं है. हम चाहते हैं कि हमारे क्षेत्र में कंपनिया आये और पर्यावरण तथा प्रदूषण से संबंधित एनजीटी के मानकों को अपनाते हुए उद्योग लगाये जिससे अधिक से अधिक सारंडा के लोगों को रोजगार मिले. उन्होंने कहा कि सुशील बारला सारंडा के कई गांवों के ग्रामीणों को वनाधिकार का पट्टा दिलाने के नाम पर गुमराह किया और आज तक पट्टा नहीं दिलाया, पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश का सारंडा का विकास में सारथी बना लेकिन सारंडा की तमाम सड़कें, इंदिरा आवास, स्वच्छ पेयजल आदि तमाम योजनाओं का हाल किसी से छुपा नहीं है. जिस बहदा गांव में वह बैठक किये वहां की सड़क आज तक नहीं बन पायी. सुशील बारला को अगर उक्त वार्ता व हुये समझौता के बारे में अधिक जानकारी चाहिये तो एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर व कंपनी प्रबंधन से बात कर लें. पुलिस अधिकारी के साथ बैठक में कोई डील नहीं होती है तथा हमारी ऐसी मानसिकता भी नहीं रही है. जो भी वार्ता हुआ है वह खदान से प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को रोजगार देने, स्वरोजगार से जोड़ने, खदान का प्रदूषित लाल पानी को नदी-नालों में जाने से रोकने, गांवों में पेयजल सुविधा व अन्य विकास योजनाएं संचालित करने आदि को लेकर हुई हैं.