Kiriburu (Shailesh Singh) : डासा जल्द लागू करने की मांग को लेकर सेल की झारखंड खान समूह आफिसर्स एसोसिएशन, किरीबुरु-मेघाहातुबुरु के अधिकारियों द्वारा 25 मार्च की देर शाम मेघाहातुबुरु मे कैंडल मार्च निकाला गया. इस बाबत एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश कुमार ने बताया की इस्पात मंत्रालय के द्वारा डीपीई के आदेश के अनुरूप सेल खदानों में कार्यरत अधिकारियों को चुनौतीपूर्ण/विकट पोस्टिंग में कार्य करने के लिए दुर्गम क्षेत्र भत्ता (डासा) प्रदान करने हेतु आदेश जारी किया गया था. इन आदेशों के अनुसार खदानों में कार्यरत अधिकारियों को उनके बेसिक वेतन का 10 फीसदी राशि डासा के रूप में भुगतान किया जाता था. इन स्थानों में नगरीय सुविधाएं, शिक्षा व चिकित्सीय सुविधाएं अत्यंत ही दयनीय है. इन स्थानों में कार्यरत अधिकारी शिक्षा व चिकित्सा की सुविधाओं को निर्बाध रूप से प्राप्त करने के लिए अपने परिवार और बच्चों को निकटवर्ती शहरों में रखने और अतिरिक्त वित्तीय खर्च उठाने के लिए बाध्य हैं.
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इस्पात मंत्रालय के आदेश पर सेल अधिकारियों के डासा पर लगा था रोक
तीसरे पे-रिविजन कमेटी ने कठिन परिस्थितियों में कार्यरत अधिकारियों को पहले की तरह डासा प्रदान करने की अनुशंसा की है. परंतु इस्पात मंत्रालय के आदेश अनुसार सेल के अधिकारियों को प्राप्त डासा को रोक दिया गया है, जिससे कठिन परिस्थितियों में कार्यरत अधिकारियों में अत्यंत ही निराशा है. वर्तमान स्थिति यह है कि केवल अधिकारी डासा से वंचित हैं और गैर-कार्यपालक इस तथ्य के बावजूद इसका लाभ ले रहे हैं, जबकि दोनों (अधिकारी और गैर-अधिकारी) एक ही स्थान पर काम कर रहे हैं. इस्पात मंत्रालय तथा सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई), भरत सरकार के इस भेदभावपूर्ण निर्णय के कारण खदान अधिकारियों का मनोबल और प्रेरणा स्तर नीचे गिर रहा है. डासा किसी तरह इस अतिरिक्त वित्तीय प्रभाव की भरपाई कर रहा था, लेकिन अधिकारियों के लिए डासा को रोकना न केवल हतोत्साहित करने वाला निर्णय है, बल्कि प्राकृतिक न्याय और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध भी है.
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डासा लागू नहीं हुई तो आंदोलन होता रहेगा
उपर्युक्त कार्यालय आदेश खदानों में काम करने वाले अधिकारियों और गैर-अधिकारियों के बीच भेदभाव करता है. जबकि गृह मंत्रालय हमारे जैसे ही स्थान पर यानी खदानों में काम करने वाले अपने कर्मचारियों (सीआईएसएफ) को कठिनाई भत्ते का भुगतान कर रहा है. सेल के इतिहास में खदान अधिकारियों के साथ इस तरह का भेदभाव पूर्ण व्यवहार कभी नहीं हुआ है. आपका नारा ”सबका साथ, सबका विकास” के भी अनुरूप नहीं है. डासा को बंद करना न तो अधिकारियों के पक्ष में है और न ही सेल जैसी महारत्न संस्थान के पक्ष में है. यहां तक कि हमारे देश के पक्ष में भी नहीं है. अधिकारियों ने इस्पात मंत्रालय और सेल प्रबंधन से मांग किया है कि खदान में अधिकारियों के लिए डासा को जल्द लागू करें नहीं तो आंदोलन होते रहेगा.
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कैंडल मार्च में ये लोग हुए शामिल
इस अवसर पर झारखंड खान समूह ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश कुमार, सचिव उदय भान सिंह राठौर, महाप्रबंधक सुमन कुमार, उप महाप्रबंधक तुहीन बनर्जी, एसके राजा, सुलभ दीक्षित, एनके विश्वास, मनोज कुमार, जगदीश यादव, अनिल कुमार, मोहन कुमार, एसके विश्वाल, भानु प्रताप बौल, गणेश सिंह, आशीष कुमार, अभिनाश शर्मा, पीके पंडा, अजीत कुमार, डॉ. मनोज कुमार, सरश साहू, जीके नायक आदि दर्जनों लोग शामिल थे.


