- बाल अधिकार सुरक्षा मंच के कार्यक्रम में एस्पायर ने मंत्री व सांसद को दिया आंकड़ा
Kiriburu (Shailesh Singh) : बाल अधिकार सुरक्षा मंच, पश्चिमी सिंहभूम के तत्वावधान में चाईबासा के पिल्लई हाल में जिला स्तरीय बाल अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तरीय सम्मेलन का बुधवार को आयोजन किया गया था. इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि मंत्री दीपक बिरुवा और विशिष्ट अतिथि सिंहभूम की सांसद जोबा माझी, जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुरेन थे. सम्मेलन में बाल अधिकार के साथ-साथ शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 को मजबूती के साथ कक्षा एक से पांच व कक्षा एक से आठ तक संचालित सरकारी विद्यालयों में सख्ती से लागू करवाने की मांग की गई. सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे बाल अधिकार सुरक्षा मंच के जिला अध्यक्ष हरिन तामसोप ने पश्चिमी सिंहभूम में सरकारी विद्यालयों में शिक्षा संसाधन, बच्चों के नामांकन, ठहराव, शिक्षकों की कमी आदि बिंदुओं पर पीपीटी प्रजेंटेशन के माध्यम से मंत्री, सांसद, जिला परिषद अध्यक्ष, बाल संरक्षण आयोग के सदस्य के समक्ष रखा. इसमें बताया गया कि एस्पायर के इस वर्ष के सर्वेक्षण के अनुसार पश्चिम सिंहभूम जिला के 16 प्रखंड में 6-14 वर्ष के 32,932 बच्चे और 15-17 वर्ष के 18,596 बच्चे विद्यालय से बाहर पाये गये हैं.
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प्राथमिक विद्यालय एक, मध्य विद्यालय 3 व उच्च विद्यालय 5 किमी पर हैं
बताया गया कि जिले के 1030 ऐसे टोले हैं, जिसमें प्राथमिक विद्यालय एक किलोमीटर से अधिक तथा 1017 टोले ऐसे हैं, जिसमें मध्य विद्यालय 3 किलोमीटर से अधिक दूरी पर है. साथ ही 2106 ऐसे टोले हैं, जिसमें उच्च विद्यालय 5 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित है. जिले में इतनी बड़ी संख्या में बच्चों के विद्यालयी शिक्षा से दूर होने के कारण विद्यालय से टोले की अधिक दूरी, आधार कार्ड, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र का नहीं होना, पारिवारिक, समाजिक, आर्थिक स्थिति कमजोर, जागरुकता की कमी, विद्यालय में शिक्षक की कमी के साथ साथ संसाधनों का आभाव आदि दर्जनों कारण बताये गये.
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बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना होगा : बिरुवा
परिवहन मंत्री दीपक बिरुवा ने कहा कि बाल अधिकार सुरक्षा मंच का इतने सारे बच्चों को अधिकार दिलाने के लिए उठाया गया बीड़ा सराहनीय है. हम सभी मिल कर इसे मुकाम तक ले जायेंगे. आधार कार्ड, बैंक पासबुक, जन्म प्रमाण पत्र के कारण यदि बच्चे विद्यालय से दूर हैं तो यह चिंता का विषय है. इन बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना होगा. क्षेत्र में मुंडा मानकी व पंचायती राज व्यवस्था है. सभी मिल कर शिक्षा से वंचित बच्चों को विद्यालय से जोड़ें. जनजातियों का स्थिति हर क्षेत्र में दयनीय है. विद्यालय जाने से वंचित बच्चों का नामांकन समय रहते हो. इसके लिए वे जिला प्रशासन से बात करेंगे.
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पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण बच्चे होते हैं ड्रॉप आउट : सांसद
सांसद जोबा माझी ने कहा कि बाल अधिकार मंच द्वारा विद्यालय से दूर रहने वाले बच्चों का आंकड़ा चिंता का विषय है. जिले की भौगोलिक स्थित अलग है. पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह भी कई बच्चे ड्रॉप आउट हो जाते हैं. शिक्षक-बच्चे व संसाधन के बीच की खाई को दूर करना है. बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की और जरुरत है. शिक्षक-सेविका, विद्यालय प्रबंधन समिति व सभी लोग अपनी जिम्मेदारी बेहतर ढंग से निभाएं. समुदाय व जनप्रतिनिधि को भी बच्चों शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए आगे आना होगा. शिक्षक की कमी दूर करने के लिए सरकार दृढ़संकल्प है. जिस विधालय में शिक्षक की कमी है दूर होगी. सम्मेलन को एस्पायर के सचिव दयाराम ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर बाल संरक्षण आयोग के सदस्य आबा विरेंद्र, मिन्हाजुल हक, विकास दोजराजका, सचिव तरुण सवैंया, कोषाध्यक्ष बाबुराम लागुरी, अधिवक्ता रमेश जेराई, जी नरेश, वी रमन, जगन्नाथपुर विधायक के प्रतिनिधि, पंचायत प्रतिनिधि, मुंडा-मानकी, विभिन्न प्रखंड से आये बाल अधिकार सुरक्षा मंच के पदाधिकारी, स्टेकहोल्डर्स मौजूद थे.
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