Kiriburu (Shailesh Singh) : मनोहरपुर के मीना बाजार चौक से कोल्भंगा, गिन्डूंग होते मारंगपोंगा-चिड़िया जंक्शन तक बीते वर्ष प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) से निर्मित ग्रामीण सड़क पर 10 से 16 चक्का वाले भारी मालवाहक वाहनों का प्रतिदिन परिचालन हो रहा है. इससे इस ग्रामीण सड़क का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. इस मामले की जानकारी जिला प्रशासन, पथ निर्माण विभाग, परिवहन विभाग, जनप्रतिनिधि, मानकी-मुंडा आदि सब के होने के बावजूद इस ग्रामीण सड़क को टूटने से बचाने हेतु भारी वाहनों का परिचालन पर रोक लगाने में वे असफल हो रहे हैं.
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उल्लेखनीय है कि मीना बाजार चौक से मारंगपोंगा-चिड़िया खदान जंक्शन तक इस सड़क की कुल लम्बाई लगभग 20 किलोमीटर एवं चौड़ाई लगभग 5.5 मीटर है. इस सड़क का निर्माण बीते वर्ष जमशेदपुर की एक ठेका कंपनी द्वारा पीएमजीएसवाई योजना से कराया गया था. पीएमजीएसवाई एक राष्ट्रीय योजना है. इसका मकसद ग्रामीण इलाकों में सड़क संपर्क बेहतर करना है. इस सड़क में पुलिया और अन्य जल निकासी संरचनाओं का भी निर्माण कराया गया है. इस योजना के तहत, मैदानी इलाकों में 500 से ज्यादा और पहाड़ी इलाकों में 250 से अधिक आबादी वाली बस्तियों को सड़क से जोड़ा जाना है.
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इस सड़क के निर्माण से ग्रामीणों का आवागमन बेहतर हो गया है, लेकिन इस सड़क पर सेल की दुबिल खदान से लौह अयस्क की ढुलाई में लगी एनएसआईपीएल नामक ठेका कंपनी की दर्जनों 10 से 16 चक्का वाली भारी वाहनों ने कब्जा जमा लिया है. हालांकि उक्त खदान से मनोहरपुर रेलवे साइडिंग तक अयस्क ढुलाई हेतु अलग सड़क है. अलग सड़क से वाहन अयस्क लोड कर रेलवे साइडिंग में जाती है, लेकिन अयस्क को खाली कर सभी खाली वाहन को उक्त ग्रामीण सड़क का इस्तेमाल कर खदान में भेजा जाता है. इससे न सिर्फ ग्रामीण सड़क टूट रही है, बल्कि हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहती है.
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जानकारों का कहना है कि पीएमजीएसवाई योजना से बनी उक्त ग्रामीण सड़क पर 10-12 चक्का वाले खाली वाहन ही जा सकते हैं. 14-16 चक्का वाले खाली व भारी वाहन नहीं चल सकते हैं, क्योंकि यह सड़क लगभग 12 टन तक भार सह सकती है, जबकि 14-16 चक्का वाली खाली वाहनों का वजन ही 16-18 टन के आसपास होता है. ऐसी स्थिति में सड़क अधिक दिन टिक नहीं सकती. ग्रामीणों ने बताया कि इस सड़क से चेन व ब्लेड लगा लगभग 30 टन वजन वाला भारी पोकलेन मशीन आदि वाहन भी गुजारते हैं, जिसके ब्लेड से सड़क कट जाती है. ऐसे वाहनों को सड़क पर चलाने की अनुमति नहीं होती है, लेकिन एनएसआईपीएल कंपनी अपनी दबंगता की वजह से यह कार्य करती है. सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार को पांच वर्ष तक सड़क मरम्मत का जिम्मा है, लेकिन क्षमता से अधिक भार वाला वाहन चलकर सड़क तोड़ते रहे तो कौन-कितना सड़क मरम्मत कर सकेगा.
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ग्रामीणों का कहना है कि एनएसआईपीएल जिस सड़क से खदान से लौह अयस्क लोड वाहन लेकर उतरती है, उसी सड़क से तमाम खाली वाहनों को भी खदान में ले जाये, अन्यथा सड़कों पर उतर आंदोलन को बाध्य होंगे. दूसरी तरफ एनएसआईपीएल के पदाधिकारी पंकज ने बताया कि उक्त ग्रामीण सड़क से अयस्क लोड वाहन नहीं बल्कि खाली मालवाहक वाहनों का ही सिर्फ परिचालन होता है. लोड वाहन दूसरे अयस्क ढुलाई वाली अलग सड़क से गुजरती है.
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