Kiriburu (Shailesh Singh) : सेल प्रबंधन द्वारा रिमोट क्षेत्र के खदानों व उपक्रमों में कार्य करने वाले सेल अधिकारियों को डासा एलाउंस बंद करने के खिलाफ सेल की किरीबुरु-मेघाहातुबुरु खदान के अधिकारियों ने मेघाहातुबुरु खदान गेट के सामने प्रदर्शन किया. अधिकारियों ने बताया कि रिमोट एरिया एलाउंस पहले सेल के अधिकारियों व कर्मचारियों को 10 फीसदी मिलता था लेकिन बाद में इसे कम कर 8 फीसदी किया गया. लेकिन इस 8 फीसदी को भी 1 नवम्बर 2022 से सेल अधिकारियों को डासा हटा दिये जाने संबंधित आदेश आने से आक्रोशित सेल की किरीबुरू एवं मेघाहातुबुरु खदान के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से सेल की मेघाहातुबुरु खदान गेट के सामने 22 नवम्बर की देर शाम लगभग नौ बजे से सेल प्रबंधन के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया.
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खदान में घुस कर अधिकारियों का अपहरण करते हैं नक्सली
सेल की झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस के अधिकारियों ने कहा कि सेल प्रबंधन का यह कदम काफी गलत है. क्योंकि हम सभी झारखंड के सबसे अधिक रिमोट क्षेत्र नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल स्थित खदानों में कार्य करते हैं. यहां अधिकारियों का अपहरण खदान में घुस कर नक्सली कर ले जाते हैं. यहां संचार, आवागमन, शिक्षा, चिकित्सा, शुद्ध पेयजल, मनोरंजन, बेहतर बाजार आदि की कोई सुविधा नहीं है. इसके बावजूद हम सभी विकट परिस्थिति में सुविधाओं के भारी अभाव व जान जोखिम में डाल सेल की उत्पादन व उत्पादकता की लक्ष्य को निरंतर प्राप्त करते आ रहे हैं. हमें स्टील प्लांटों की तुलना में थोड़ी भी सुविधा नहीं मिलती है. सिवाय ददुरुह क्षेत्र भत्ता के अलावे. लेकिन अब वह भी हमसे छिन लिया गया है. जो बर्दाश्त योग्य नहीं है. डिफिकल्ट एरिया एलाउंस का पैसा हम सभी अधिकारी व सेलकर्मी सीआईएसएफ एवं केन्द्रीय विद्यालय प्रबंधन को देते हैं.
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इस्पात मंत्री से मुलाकात कर रखेंगे अपनी मांग
सेल की झारखंड ग्रुप ऑफ माइन्स, आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश कुमार ने लगातार न्यूज से बातचीत में कहा कि यह सेल का दुर्भाग्यपूर्ण एवं गलत कदम है. इसके खिलाफ हम सभी एसोसिएशन व सेल के अधिकारी वर्ग आंदोलन तेज कर दिये हैं. इसके खिलाफ हमारा प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री एवं केन्द्रीय इस्पात मंत्री से मुलाकात कर अपनी मांग रखेगा. अगर वहां से न्याय नहीं मिला तो हमारा संगठन न्याय हेतु न्यायालय के शरण में जाएगा.
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आंदोलन की आगे की चरणबद्ध रूपरेखा करेंगे तैयार
उक्त एसोसिएशन के सचिव उदय भान सिंह राठौर ने कहा कि हम सभी अधिकारी सारंडा जंगल जैसे अत्यंत दुरुह क्षेत्र में तमाम प्रकार की असुविधाओं के बीच विकट परिस्थिति में कार्य करते हैं, जिसके एवज में सेल प्रबंधन हमें दुरुह क्षेत्र भत्ता (डासा) देती आ रही थी, लेकिन उसे भी अब सेल प्रबंधन बंद कर दी है जो काफी गलत कदम है. हमें ऐसे क्षेत्रों में किसी प्रकार की कोई बेहतर सुविधा नहीं मिलती है. आज का हमारा आंदोलन सांकेतिक है लेकिन आज हीं हम सभी झारखंड ग्रुप ऑफ माइन्स किरीबुरू एवं मेघाहातुबुरू के अधिकारी किरीबुरू क्लब में बैठक कर आगे के आंदोलन की विशेष कार्य योजना बनाएंगे एवं आगे की आंदोलन की चरणबद्ध रूप रेखा तैयार करेंगे.