LagatarDesk: राज्य में ठंड के समय कंबल बांटना कोई नयी बात नहीं है. हर जाड़े में सरकार टेंडर करके कंबलों की खरीद करती है और गरीबों के बीच कंबलों का वितरण किया जाता है. रघुवर दास की पिछली सरकार ने यह निर्णय लिया था कि बाजार से नहीं खरीद कर राज्य के छोटे बुनकरों को कंबल बनाने का काम दिया जायेगा. 10 लाख कंबल बनाने का टेंडर झारक्राफ्ट को दिया गया था. तत्कालीन विकास आयुक्त अमित खरे ने इसमें गड़बड़ी पकड़ी थी. वर्ष 2017 से 2018 के बीच कंबल घोटाला को अंजाम दिया गया था.
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आइये जानते हैं किस तरह किया गया घोटाला:
- एजी की रिपोर्ट के अनुसार, झारक्राफ्ट ने पानीपत से 19.93 लाख किलो ऊनी धागा कंबल बनाने के लिये मंगवाया था लेकिन एजी का कहना था कि 18.81 लाख किलो ऊनी धागा कंबल बनाने के लिये मंगवाया ही नहीं गया जबकि इसके लिये 14 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया गया, जो एजी के मुताबिक पूरी तरह से गलत था.
- झारक्राफ्ट ने बताया कि कंबल की फिनीशिंग के 144 ट्रकों ने झारखंड से पानीपत 320 फेरे लगाये लेकिन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार ये ट्रक टोल प्लाजा से 320 बार गुजरे ही नहीं. इसमें से 318 ट्रिप को पूरी तरह फर्जी बताया गया.
- झारक्राफ्ट ने प्रति सखी मंडल ने 1 दिन में 3 लाख कंबल बुनने के दावे किये थे जो संभव ही नहीं था.
- रघुवर सरकार के कार्यकाल में रेणु परिक्कर को बिना योग्यता के झारक्राफ्ट का सीईओ बना दिया गया, साथ ही उन्हें लघु उद्यमी बोर्ड का सदस्य भी बना दिया गया.
- किसी भी ट्रक की अधिकतम रफ्तार 40-50 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है और एक ट्रक एक टाइम पर एक ही रुट पर जा सकता है लेकिन रघुवर सरकार के कार्यकाल में ट्रक 250 किलो प्रतिघंटे की रफ्तार से चला और एक समय पर एक ट्रक ने 2 रुट में चलने का कारनामा कर दिखाया.
- झारक्राफ्ट के 10 लाख कंबल में से 8.13 लाख कंबल बनाने का फर्जी दावा किया गया और इसके लिये फर्जी दस्तावेज भी बनवाये गये.
- कंपनी ने ये भी दावा किया था कि कंबलों की बुनाई के लिए 2.02 करोड़ के हस्तकरघे खरीदे गये थे लेकिन इसे किस बुनकर सहयोग समिति को दिया इसका कोई लेखा-जोखा झारक्राफ्ट के पास था ही नहीं.